५२ वीर
*चमत्कारिक वीर साधना, वीरो के नाम*
वीरों के विषय में सर्वप्रथम पृथ्वीराज रासो में उल्लेख है। वहां इनकी संख्या 52 बताई गई है इन्हें भैरवी के अनुयायी या भैरव का गण कहां गया है। इन्हें देव और धर्म रक्षक भी कहा गया है। मुलत: ये सभी कालिका माता के दूत हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश , राजस्थान , पंजाब आदि प्रांतों में कई वीरों की मंदिरों में अन्य देवी-देवताओं के साथ प्रतिमाएं भी स्थापित है। राजस्थान में जाहर वीर, नाहर वीर, वीर तेजाजी महाराज आदि के नाम प्रसिद्ध है।
कहते हैं कि वीर साधना एक बंद कमरे में श्मशान में या किसी एकांत स्थान पर की जाती है। जहां कोई आता-जाता न हो कई दिन कई रातों तक महाकाली की पूजा करने के पश्चात कहा जाता है, कि पूजा के दौरान एक ऐसा क्षण आता है, जब काली के दूत सामने आते हैं। और साधक की मनोकामना पूर्ण करते हैं। वीर साधना को तांत्रिक साधना के अंतर्गत माना जाता है, इसलिए ध्यान रहे कि यह साधना किसी गुरु या जानकार से पूछ कर हीं करें।
उसकी तरह कुछ ऐसी ही शक्तियां है जिनकी जो सात्विक भाव से साधना करता है। वह उनको वैसा ही चमत्कार दिखाती है। उन्हीं में से एक है, वीर या बीर साधना सभी वीरों की शक्तियां एक दूसरे से भिन्न है। ये अलग अलग शक्तियों से संपन्न होते हैं। गुप्त नवरात्रि में और कुछ विशेष दिनों में वीरसाधना की जाती है। यह साधना को तांत्रिक साधना के अंतर्गत माना गया है मुलत: *५२ वीर है जिनके नाम इस प्रकार है।*
1. क्षेत्रपाल वीर
2. कपिल वीर
3. बटुक वीर
4. नृसिंह वीर
5. गोपाल वीर
6. भैरव वीर
7. गरुढ़ वीर
8. महाकाल वीर
9. काल वीर
10. स्वर्ण वीर
11. रक्तस्वर्ण वीर
12. देवसेन वीर
13. घंटापथ वीर
14. रूद्र वीर
15. तेरासंघ वीर
16. वरुणवीर
17. कंधर्व वीर
18. हंसवीर
19. लोन्कडिया वीर
20. वहिवीर
21. प्रियमित्र वीर
22. कारु वीर
23. अदृश्य वीर
24. वल्लभ वीर
25. वज्र वीर
26. महाकाली वीर
27. महालाभ वीर
28. तुंगभद्र वीर
29. विघाधर वीर
30. घंटाकर्ण वीर
31. बैद्यनाथ वीर
32. विभीषण वीर
33. फाहेतक वीर
34. पितृ वीर
35. खड्ग वीर
36. नाघस्ट वीर
37. प्रदुम्न वीर
38. श्मशान वीर
39. भरुदग वीर
40. काकेलेकर वीर
41. कंफिलाभ वीर
42. अस्थिमुख वीर
43. रेतोवेद्य वीर
44. नकुल वीर
45. शौनक वीर
46. कालमुख वीर
47. भूतबैरव वीर
48. पैशाच वीर
49. त्रिमुख वीर
50. डचक वीर
51. अट्टलाद वीर
52. वास्मित्र वीर
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