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श्रीयंत्र PARASHMUNI

💯✔ श्रीयंत्र का शब्दार्थ - श्रीयंत्र का सरल अर्थ है - श्री का यंत्र अर्थात गृह। नियमनार्थक यम धातु से बना 'यंत्र' शब्द गृह अर्थ को ही प्रकट करता है। क्यूंकि गृह में ही सब वस्तुओं का नियंत्रण होता है। श्रीविद्या ढूंढने के लिए उसके गृह 'श्रीयंत्र' की ही शरण लेनी होगी। आगे श्री अर्थात श्रीविद्या के परिचय से ज्ञात होगा की वह उपास्य और उपेय दोनों है। उपेय वस्तु को उसके अनुकूल स्थान में ही अन्वेषण करने से सिद्धि होती है, अन्यथा मनुष्य उपहासास्पद बनता है। यह विश्व ही श्रीविद्या का गृह है। यहाँ विश्व शब्द से पिण्डाण्ड एवं ब्रह्माण्ड दोनों का ग्रहण है।  भैरवयामलतन्त्र में लिखा है - चक्रं त्रिपुरसुन्दर्या ब्रह्मंडाकारमीर्श्वरी।  अर्थात हे ईश्वरी ! त्रिपुरसुन्दरी का चक्र ब्रह्मण्डाकार  है  श्री शब्द का अर्थ -  श्रयते या सा श्री  - अर्थात जो श्रयण की वही श्री है। श्रयणार्थक धातु सकर्मक है, अतः यह कर्म की अपेक्षा रखता है। प्राचीन परंपरागत व्यव्हार के अनुसार श्री का श्रयण कर्म हरि (ब्रह्म) के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं कर सकता। अतः जो नित्य परब्रह्म का आश्रयण करती है वही श्री है। यहाँ य