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Showing posts from December, 2020

बीजाक्षर_क्या_है ? , क्या_है_ब्रह्म_मंत्र ? PARASHMUNI

#बीजाक्षर_क्या_है ? https://goo.gl/HPYL7f 1-मंत्र का शाब्दिक अर्थ होता है एक ऐसी ध्वनि  जिससे मन का तारण हो अर्थात मानसिक कल्याण हो जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है  ''मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है''। वेदों में शब्दों के संयोजन से इस प्रकार की कल्याणकारी ध्वनियां उत्पन्न की गई।माना जाताहै कि मनुष्य की अवचेतना में बहुत सारी आध्यात्मिक शक्तियां होती हैं जिन्हें मंत्रों के द्वारा प्रयोग में लाया जा सकता है।  3-बीजमंत्र  स्पंदन है ,आत्मा की पुकार है।सृष्टि का आरंभ बीजाक्षर मंत्र का स्पंदन ही है। नौ शब्दों तक बीज मंत्र कहते है ।नौ शब्दों से अधिक होने से मंत्र, और बीस शब्दों से अधिक होने से उसको महामंत्र कहते है ।  4-वृक्ष के बीज जैसा 'बीजाक्षर' भी मंत्र के बीज जैसा है। जिसे गाने से साधक को सकारात्मक शक्ति का लाभ होता है। जितना ज्यादा  गायेगे ;उतना अधिक सकारात्मक शक्ति का लाभ होगा और वृक्ष जैसी वृद्धि होगी  ।  5-वास्तव में, सृष्टि आरंभ का प्रथम स्पंदन ‘ॐ’ बीजाक्षर मंत्र ही है । ‘ॐ’ बीजाक्षर मंत्र ही क्रमशः योग बीज, तेजोबीज, शांतिबीज, और रक्षा बीज जैसा व्यक्तीकरण

#छप्पन_भोग_क्यों_लगाते_है PARASHMUNI

💯✔ #छप्पन_भोग_क्यों_लगाते_है... भगवान को लगाए जाने वाले भोग की बड़ी महिमा है | इनके लिए 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसे छप्पन भोग कहा जाता है | यह भोग रसगुल्ले से शुरू होकर दही, चावल, पूरी,पापड़ आदि से होते हुए  इलायची पर जाकर खत्म होता है | अष्ट पहर भोजन करने  वाले बालकृष्ण भगवान को अर्पित किए जाने वाले  छप्पन भोग के पीछे कई रोचक कथाएं हैं | ऐसा भी कहा जाता है कि यशोदाजी बालकृष्ण  को एक दिन में अष्ट पहर भोजन कराती थी |  अर्थात्...बालकृष्ण आठ बार भोजन करते थे | जब इंद्र के प्रकोप से सारे  व्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने  गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक भगवान ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया | आठवे दिन जब भगवान ने देखा कि अब इंद्र की वर्षा बंद हो गई है, सभी व्रजवासियो को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा,  तब दिन में आठ प्रहर  भोजन करने वाले व्रज के नंदलाल कन्हैया का  लगातार सात दिन तक भूखा रहना उनके व्रज वासियों और मया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ. भगवान के प्रति अपनी अन्न्य श्रद्धा  भक्ति दिखाते हुए सभी व्रजवासियो सहित यशोदा जी ने 7 दिन और अष्ट पहर क

#धन_सम्पदा_की_अधिष्ठात्री_देवी_महाविद्या_माँ_कमला_की_साधना? PARASHMUNI

#धन_सम्पदा_की_अधिष्ठात्री_देवी_महाविद्या_माँ_कमला_की_साधना? https://goo.gl/oKmgzi A- मां कमला धन सम्पदा की अधिष्ठात्री देवी हैं, भौतिक सुख की इच्छा रखने वालों के लिए इनकी आराधना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर माँ कमला साधना मानी जाती हैं। माँ कमला सती का दशम रूपांतरण हैं जो परम चेतन एवं परमानंद का प्रतीक हैं और शांति एवं सुख के अमृत से स्नान करती हैं। वे ब्रह्म एकत्व का साक्षात्कार हैं, वे स्वयं आनंद एवं आनंद भोगा हैं। दरिद्रता, संकट, गृहकलह और अशांति को दूर करती हैं। इनकी सेवा और भक्ति से व्यक्ति सुख और समृद्धि पूर्ण रहकर शांतिमय जीवन बिताता है। B-इनकी  पूजा करने से व्यक्ति साक्षात कुबेर के समान धनी और विद्यावान होता है। व्यक्ति का यश और व्यापार या प्रभुत्व संसांर भर में प्रचारित हो जाता है।!माँ कमला साधना करने से साधक के जीवन में धन, धान्य, भूमि, वाहन, लक्ष्मी आदि की प्राप्ति होती है ! धन से जुडी सारी समस्या समाप्त हो जाती है !  C-साधना का समय..समृद्धि, धन,  पुत्रादि के लिए इनकी साधना की जाती है। इन महाविद्या की साधना नदी तालाब या समुद्र में गिरने वाले जल

गोपियों_के_पांच_प्रेम_गीत (#वेणुगीत, #युगलगीत, #प्रणयगीत, #गोपीगीत और #भ्रमरगीत) PARASHMUNI

#गोपियों_के_पांच_प्रेम_गीत (#वेणुगीत, #युगलगीत, #प्रणयगीत, #गोपीगीत और #भ्रमरगीत) https://goo.gl/oKmgzi #क्या_है_पांच_गीत ? 1-श्रीमद भागवत महापुराण के दशम स्कन्ध के अंतर्गत पांच गीत आते हैं ...प्रणय गीत, वेणु गीत, गोपी गीत, युगल गीत, भ्रमर गीत ये पांच गीत भगवान् के पांच प्राण कहे गये हैं !! रास पंचाध्यायी को भगवान् का ह्रदय कहा गया है !! जो साधक नित्यप्रति इनका पाठ व् ध्यान करता है उसके जीवन में आनंद ही आनंद भर जाता है !!  .2-....क्या रस है ....दिमाग को एक दम झझकोर वाला ... दिल में जो विषय वासनाओ व् धनासक्ति  का जो भूसा भरा होता है वो कैसे छूमंतर होता है .... प्रणय गीत जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो रहा है इस पर  संकोच से विस्तार किया गया है अगर इसके अन्तरंग भावों को कोई समझ ले तो वासनाओं का, कामनाओं का ..बीज ही नष्ट हो जाए ...पहले ही गीत में। .....  पाँचों गीत का रोज़ पाठ कीजिये स्वास्थ्य व् अध्यात्मिक उन्नति की तरफ बहुत तेज़ी से आगे बढ़ पायेंगे !!नारायण !! 3-श्रीमद भागवत के अन्तर्गत आने वाले गोपियों के पंञ्ञ प्रेम गीत (वेणुगीत, युगल गीत, प्रणय गीत, गोपीगीत और भ्रमर गीत) इनमें से वेणु गीत का