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Showing posts from June, 2020

गायत्री मंत्र PARASHMUNI

#गायत्री_मंत्र के अलावा गायत्री के ये 24 मंत्र भी हैं जिनमें हैं 24 देवताओं का वास, इन मंत्रों के जप से हो जाता हैं सभी कष्टों का नाश । भूत प्रेत, चोर डाकू, राज कोप, आशंका, भय, अकाल मृत्यु, रोग और अनेक प्रकार की बाधाओं का निवारण करके मनुष्य को सदैव तेजश्वी बनाय रखता है । इन मंत्रों को प्रतिदिन जपने से सुख, सौभाग्य, समृद्धि और ऎश्वर्य की होती हैं प्राप्ति ।   1- #गणेश_गायत्री:- यह मंत्र समस्त प्रकार के विघ्नों का निवारण करने में सक्षम है । मंत्र- ।। ॐ एक दृष्टाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात् ।। 2- #नृसिंह_गायत्री:- इस मंत्र से पुरषार्थ एवं पराक्रम की बृद्धि होती है । मंत्र- ।। ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात् ।।   3- #विष्णु_गायत्री:- यह मंत्र पारिवारिक कलह को समाप्त करता है । मंत्र- ।। ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् ।। 4- #शिव_गायत्री:- यह मंत्र सभी प्रकार का कल्याण करने में अद्भूत कार्य कर्ता है । मंत्र- ।। ॐ पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।। 5- #कृष्ण_गायत्री:- यह मंत्र कर्म

दस नामापराध PARASHMUNI

💯✔ ##दस_नामापराध       #सदगुरु से प्राप्त #मंत्र को विश्वासपूर्वक तो जपें ही, साथ ही यह भी ध्यान रखें कि जप दस अपराध से रहित हो | किसी महात्मा ने कहा है : राम राम अब कोई कहे, दशरित कहे न कोय | एक बार दशरित कहै, कोटि यज्ञफल होय || ‘राम-राम’ तो सब कहते हैं किन्तु दशरित अर्थात दस #नामापराध से रहित #नामजप नहीं करते | यदि एक बार दस नामापराध से रहित होकर नाम लें तो कोटि यज्ञों का फल मिलता है |” प्रभुनाम की महिमा अपरंपार है, अगाध है, अमाप है, असीम है | तुलसीदासजी महाराज तो यहाँ तक कहते हैं कि कलियुग में न योग है, न यज्ञ और न ही ज्ञान, वरन् एकमात्र आधार केवल प्रभुनाम का गुणगान ही है | कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना | एक आधार राम गुन गाना || नहिं कलि करम न भगति बिबेकु | राम नाम अवलंबनु एकु || यदि आप भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हैं तो मुखरूपी द्वार की जीभरूपी देहली पर रामनामरूपी मणिदीपक को रखो | राम नाम मनिदीप धरु, जीह देहरीं द्वार | तुलसी भीतर बाहेरहुँ, जौं चाहेसि उजिआर || अतः जो भी व्यक्ति रामनाम का, प्रभुनाम का पूरा लाभ लेना चाहे, उसे दस दोषों से अवश्य बचना चाहिए | ये दस दोष ‘नामापराध’ कहल