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Showing posts from September, 2020

भगवान_विष्णु के १६ नाम PARASHMUNI

#भगवान_विष्णु के १६ नाम  इसमें मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए, इसका उल्लेख किया गया है :- https://goo.gl/oKmgzi (१) औषधि लेते समय - *विष्णु ;* (२) भोजन के समय - *जनार्दन ;* (३) शयन करते समय - *पद्मनाभ :* (४) विवाह के समय - *प्रजापति ;* (५) युद्ध के समय - *चक्रधर ;*  (६) यात्रा के समय - *त्रिविक्रम ;* (७) शरीर त्यागते समय - *नारायण;*  (८) पत्नी के साथ - *श्रीधर ;* (९) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - *गोविंद ;* (१०) संकट के समय - *मधुसूदन ;* (११) जंगल में संकट के समय - *नृसिंह ;* (१२) अग्नि के संकट के समय - *जलाशयी ;* (१३) जल में संकट के समय - *वाराह ;* (१४) पहाड़ पर संकट के समय - *रघुनंदन;* (१५) गमन करते समय - *वामन;*  (१६) अन्य सभी शेष कार्य करते समय - *माधव* ।। https://goo.gl/oKmgzi *औषधे चिंतयते विष्णुं , भोजन च जनार्दनम |* *शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजपतिं ||* *युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं |* *नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ||* *दु:स्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् |* *कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ||* *जल म

क्या_है_षोडश_मातृका_रहस्य?क्या_ईश्वर_अजन्मा_अप्रकट_और_निराकार_है? PARASHMUNI

#क्या_है_षोडश_मातृका_रहस्य? #सप्तमातृका_का_क्या_महत्व_है? https://goo.gl/oKmgzi 1-जब हम मंदिरों में दर्शन पूजन को जाते हैं तो वहां अवस्थित मुख्य प्रतिमा के साथ ही विभिन्न मातृ देवियों की प्रतिमाएं भी देखने को मिलती हैं।इन मातृकाओं की संख्या को लेकर भी अलग अलग मत हैं, एक मत के अनुसार इनकी संख्या सात हैं जिनके आधार पर इन्हें सप्तमातृका कहा जाता है।किसी-किसी सम्प्रदाय में मातृकाओं की संख्या आठ (अष्टमातृका) बतायी गयी है। नेपाल में अष्टमातृकाओं की पूजा होती है। दक्षिण भारत में सप्तमातृकाएँ ही पूजित हैं। कुछ विद्वान उन्हें शैव देवी मानते हैं।वैसे ऋग्वेद में सात माताओं का जिक्र है जिनकी देखरेख में सोम की तैयारी होती है।  2-मातृका हिन्दू धर्म में माताओं का प्रसिद्ध समूह है जिनकी उत्पत्ति आदिशक्ति माँ पार्वती से हुई है। सप्तमातृकाओं में सात देविओं की गिनती की जाती है जिनकी पूजा वृहद् रूप से भारत, विशेषकर दक्षिण में की जाती है। नेपाल में विशेषकर अष्टमातृकाओं की पूजा की जाती है जो आठ देवियों का समूह है। इनमे से हर देवी किसी न किसी देवता/देवी की शक्ति को प्रदर्शित करती है। इनमे से पहली छः मातृका त
#दुश्मन_और_भूत_प्रेत_का_असर_खत्म_करने की विधि और मन्त्र https://goo.gl/oKmgzi “काली काली महाकाली – इन्द्र की बेटी – ब्रह्मा की साली ।  पीती भर-भर रक्त प्याली – उड़ बैठी पीपल की डाली – दोनों हाथ बजाए ताली । जहां जाए वज्र की ताली – वहाँ न आए दुश्मन हाली । दुहाई कामरू कामाख्या नैना योगिनी की,  ईश्वर महादेव गौरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की  । https://goo.gl/oKmgzi विधि : 40 दिन तक 108 बार प्रतिदिन जाप करें – प्रयोग के समय पढ़कर 3 बार ज़ोर से ताली बजाए । जहां तक ताली की आवाज जाएगी, दुश्मन का कोई वार या भूत-प्रेत असर नहीं करेगा ।  इस मंत्र का जाप कोई भी कर सकता है 40 दिन मंत्र जपने की जगह न बदले एक ही स्थान निश्चय करे और लगातार 40 दिन करना है बीच मे रुकावट न डाले । उपरोक्त मंत्र के किए लाल मूंगा या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें । ____________________________

ललिता_सहस्रनाम_क्या_है PARASHMUNI

💯✔ #ललिता_सहस्रनाम_क्या_है? #मां_ललिता_देवी 1-#षोडशी #माहेश्वरी शक्ति की सबसे मनोहर श्रीविग्रहवाली सिद्ध देवी हैं। महाविद्याओं में इनका चौथा स्थान है।। इन्हें '#महात्रिपुरसुन्दरी', षोडशी, #ललिता, #ललिताम्बिका तथा #राजराजेश्वरी भी कहते हैं। सोलह अक्षरों के मंत्रवाली इन देवी की अंगकांति उदीयमान #सूर्यमण्डल की आभा की भांति है। इनकी चार भुजाएं एवं तीन नेत्र हैं। ये शांतमुद्रा में लेटे हुए सदाशिव पर स्थित कमल के आसन पर आसीन हैं। इनके चारों हाथों में क्रमशः पाश, अंकुश, धनुष और बाण सुशोभित हैं। 2-वर देने के लिए सदा सर्वदा तत्पर भगवती का श्रीविग्रह सौम्य और हृदय दया से आपूरित है। जो इनका आश्रय ग्रहण कर लेते हैं, उनमें और ईश्वर में कोई भेद नहीं रह जाता है। वस्तुतः इनकी महिमा अवर्णनीय है। संसार के समस्त मंत्र तंत्र इनकी आराधना करते हैं। वेद भी इनका वर्णन करने में असमर्थ हैं। भक्तों को ये प्रसन्न होकर सब कुछ दे देती हैं, अभीष्ट तो सीमित अर्थवाच्य है। 3-प्रशान्त हिरण्यगर्भ ही शिव हैं और उन्हीं की शक्ति षोडशी हैं। तन्त्रशास्त्रों में षोडशी देवी को पंचवक्त्र अर्थात पांच मुखों वाली बताया गया

मंत्र_क्या_है? PARASHMUNI

#मंत्र_क्या_है? https://goo.gl/oKmgzi ‘#मंत्र’ का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में बांधना। यदि अनावश्यक और अत्यधिक विचार उत्पन्न हो रहे हैं और जिनके कारण चिंता पैदा हो रही है, तो मंत्र सबसे कारगर औषधि है। आप जिस भी ईष्ट की पूजा, प्रार्थना या ध्यान करते हैं उसके नाम का मंत्र जप सकते हैं। मंत्र 3 प्रकार के हैं- #सात्विक, #तांत्रिक और #साबर। सभी मंत्रों का अपना-अलग महत्व है। प्रतिदिन जपने वाले मंत्रों को सात्विक मंत्र माना जाता है। आओ जानते हैं ऐसे कौन से मंत्र हैं जिनमें से किसी एक को प्रतिदिन जपना चाहिए जिससे मन की शक्ति ही नहीं बढ़ती, बल्कि सभी संकटों से मुक्ति भी मिलती है। https://goo.gl/oKmgzi इन मंत्रों के जप या स्मरण के वक्त सामान्य पवित्रता का ध्यान रखें। जैसे घर में हो तो देवस्थान में बैठकर, कार्यालय में हो तो पैरों से जूते-चप्पल उतारकर इन मंत्र और देवताओं का ध्यान करें। इससे आप मानसिक बल पाएंगे, जो आपकी ऊर्जा को जरूर बढ़ाने वाले साबित होंगे। *क्लेशनाशक मंत्र : ॐ श्रीकृष्णाय शरणं मम।  या   कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।  प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥ *मंत्र प्रभाव : इस मं

माँशक्ति_का_हवन_विधान_एवं_मंत्र_क्या_है_हवन? ,क्या_है_गुप्त_सप्तशती_साधना? PARASHMUNI

💯✔ #मां_कामाख्या_शक्तिपीठ_और_नवद्वारों_की_साधना_का? ''कामाख्याये वरदे देवी नीलपवर्त वासिनी! त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते!!'' https://goo.gl/oKmgzi #मां_कामाख्या_शक्तिपीठ 1-भारत देश रहस्यों से भरा पड़ा है। देश में ऐसे कई रहस्यमयी मंदिर है जिनके आगे विज्ञान तक फेल हो गया है।मां कामाख्या देवी कुल 51 शक्ति पीठों में सबसे शक्तिशाली हैं, जो भारत के असम की राजधानी गुवाहाटी के पास दिसपुर में कमरू नाम के स्थान पर सदियों से स्थित है। इसका विशेष महत्व शक्ति की देवी सती मंदिर के साथ-साथ तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए भी है। इसके तांत्रिक महत्व के कारण यह प्राचीनकाल से एक अद्भुत तीर्थ बना हुआ है।यहां भगवती की योनि-कुंड के प्रत्येक वर्ष जून माह में तीन दिनों तक अंबूवाची योग पर्व मनाए जाने की परंपरा है।वास्तव में यह सती के राजस्वला पर्व है, जिसमें विश्व के तांत्रिकों, साधु-संतों, अघोरियों और मंत्र साधकों का जमावड़ा लगता है। ऐसी मान्यता है कि इन तीन दिनों में योनि-कुंड से रक्त प्रवाहित होता है। https://goo.gl/oKmgzi 2-कामाख्या शक्तिपीठ गुवाहाटी (असम) के पश्चिम में 8 कि.मी. दूर नीला