दीपावली PARASHMUNI

💯✔ दीपावली पर महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का तांत्रिक उपाय 

  किसी शुभ मुहूर्त जैसे दीपावली, अक्षय तृतीया, होली आदि की रात यह उपाय किया जाना चाहिए। दीपावली की रात में यह उपाय श्रेष्ठ फल देता है। इस उपाय के अनुसार आपको दीपावली की रात कुमकुम या अष्टगंध से कांसे या चांदी की थाली पर यहां दिया गया मंत्र लिखें।मंत्र लिखकर उसकी महालक्ष्मी मान विधिवत पूजा करें |
 मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ- आगच्छ ह्रीं नम:। 
इस मंत्र का जप भी करना चाहिए। किसी साफ एवं स्वच्छ आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला या कमल गट्टे की माला के साथ मंत्र जप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम १० माला होनी चाहिए। अधिक से अधिक इस मंत्र की आपकी श्रद्धानुसार बढ़ा सकते हैं। इस उपाय से आपके घर में महालक्ष्मी की कृपा बरसने लगेगी।..दिव्य गुटिका धारक मंत्र लिखें नहीं केवल दिव्य गुटिका की महालक्ष्मी मान पूजा करें और जप करें |दिव्य गुटिका के अवयव दक्षिणावर्ती शंख ,पीली कौड़ी ,हरसिंगार गोमती चक्र ,स्फटिक आदि जिनमे महालक्ष्मी का प्रतिनिधित्व माना जाता है ,उत्तम प्रभाव उत्पन्न करते हैं |

💯✔ दीपावली के समृद्धि कारक प्रयोग 

१ - सम्पूर्ण दीपावली की रात्रि ‘‘हत्था जोड़ी’’ को सामने रखकर  ‘‘धनम् देहि’’  मंत्र का जाप करें निश्चित रूप से धन की प्राप्ति होगी। - यदि दीपावली रविवार को हो तो हत्थाजोड़ी को लाल रंग से रंग दें। यदि सोमवार को हो तो उसपर सफेद अबीर लगा दें। मंगल को हो तो लाल, बुधवार को हो तो हरा, बृहस्पतिवार को हो तो पीला रंग, शुक्रवार को हो तो सफेद अबीर, शनिवार को हो तो में काला अबीर लगायें। धन की वृद्धि होगी |
२ - लक्ष्मी आकर्षण यंत्र या छत्तीसा यंत्र दीवाली या किसी पूर्णिमा की रात्रि को सफेद कोरे कागज पर लाल स्याही से या अष्टगंध से लिखकर 100 छोटी-छोटी गोलियां बना लें। उन गोलियों को सवा किलो आटे में घी, शक्कर (चीनी) का बूरा दूध मिला दें। गीले आटे में गोली डालकर छोटी-छोटी आटे की गोलियां बना लें। विभिन्न मंत्र बोलते हुए मछलियों को खिलाएं। धन सम्पत्ति की वर्ष भर कमी नहीं रहेगी।
‘‘ऊँ महाशक्ति वेगेन, आकर्षय आकर्षय मणिभद्र स्वाहा।’
’३ - दीवाली या लक्ष्मी पूजन के समय कौड़ियों को केसर या हल्दी से रंगकर पीले कपड़े में बांध लें और फिर इन कौड़ियों को धन रखने के स्थान पर रखें, धन की कमी नहीं रहेगी।
४ - पांच गोमती चक्र दीपावली के दिन या किसी सुभ दिन मे पूजा के समय थाली में रखें और निम्न मंत्र का उच्चारण 108 बार (एक माला) करें।
‘‘ऊँ वे आरोग्यानिकरी रोगनशेषा नमः’’ 
इसको धन के स्थान पर रखने से धन की कमी नहीं रहेगी। सब रोगों का नाश होगा। शरीर स्वस्थ रहेगा।
५ - गोमती चक्र उपरोक्त मंत्र से या  ऊँ लक्ष्मी नमः’’ से अभिमंत्रित करके लाल पोटली में बांध लें और दुकान में किसी स्थान पर रख दें। जब तक पोटली दुकान में रहेगी तो निश्चय ही व्यापार में उन्नति होगी या व्यापार रुक गया तो फिर तेजी से शुरु हो जायेगा। ....
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💯✔ दीपावली के समृद्धिकारक प्रयोग 

संध्या के पश्चात काली उड़द के दो साबुत पापड़ लेकर उस पर थोड़ा सा दही और सिंदूर डाल दें और उसे पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। तिल के तेल से युक्त आटे से बना चैमुखी दीपक भी पीपल के पेड़ के नीचे जड़ के पास जला दें। अपनी मनोकामना कहें तथा कष्ट, परेशानियों को वहीं छोड़ जाने की बात कहें। सीधे घर आकर अपने हाथ-पैर धो लें। ध्यान रहे आने-जाने में कोई टोके नहीं। मनोकामना पूर्ण होगी। धन, सुख, समृद्धि में वृद्धि होगी।...

💯✔ दीपावली के समृद्धिकारक प्रयोग  

१ - घर में कमलगट्टे की माला, लघु नारियल, दक्षिणावर्ती शंख, श्वेतार्क गणपति, श्री यंत्र, कुबेर यंत्र आदि स्थापित कर जो भी दीपावली की रात को नित्य इनकी पूजा करता है ‘उनके घर में लक्ष्मी पीढ़ियों तक वास करती हैं।’ -
२ -दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी जी की फोटो के सामने शुद्ध देशी घी के दीपक जलाकर कमलगट्टे की माला से कमला मंत्र का उच्चारण करे और रात कम से कम तीन घंटे जप करें |लक्ष्मी कृपा होगी और आय के स्रोत उत्पन्न होंगे | इस से लक्ष्मी देवी प्रसन्न होती हैं। यही क्रिया यदि रोज करें तो लक्ष्मी का वास स्थिर हो जायेगा।
 ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ||

 ३ - दीपावली के दिन शनि की साढ़ेसाती, ढैया या अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए काले तिल और कपास की रुई की बत्ती से सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शमी के पौधे के सामने शनि मंत्र का उच्चारण करें। शनि का बुरा प्रभाव कम हो जायेगा, शुभ फल देगा| मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनये नमः 
  जब किसी पौधे को आप श्रद्धा पूर्वक पूजन कर उससे किसी कामना को कहते हैं तो वह पौधा आपके विचारों को वातावरण में प्रक्षेपित करता है |वह जिस शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है ,जो देवता उससे अधिक जुड़ा होता है ,जिस प्रकार की ऊर्जा का वह संवाहक होता है उससे व्यक्ति का सम्बन्ध बनता है और व्यक्ति को लाभ होता है |शमी का सम्बन्ध शनी ग्रह और रश्मियों से होने से इसके पूजन और मंत्र जप से व्यक्ति की भावना और मंत्र का प्रभाव अधिक होता है और लाभ भी अधिक होता है |दीपावली अथवा अमावस्या को इन पूजा का प्रभाव अधिक होता है |
४ - शंख में, गोबर में, आंवले में और सफेद वस्तुओं में लक्ष्मी का वास होता है। इनका प्रयोग सदा करें।
 सदा आंवला घर में रखें। लक्ष्मी का वास सदा रहेगा।
५ - सम्पूर्ण दीपावली की रात्रि ‘‘हत्था जोड़ी’’ को सामने रखकर  ‘‘धनम् देहि’’  मंत्र का जाप करें निश्चित रूप से धन की प्राप्ति होगी। - यदि दीपावली रविवार को हो तो हत्थाजोड़ी को लाल रंग से रंग दें। यदि सोमवार को हो तो उसपर सफेद अबीर लगा दें। मंगल को हो तो लाल, बुधवार को हो तो हरा, बृहस्पतिवार को हो तो पीला रंग, शुक्रवार को हो तो सफेद अबीर, शनिवार को हो तो में काला अबीर लगायें। धन की वृद्धि होगी |
६ - लक्ष्मी आकर्षण यंत्र या छत्तीसा यंत्र दीवाली या किसी पूर्णिमा की रात्रि को सफेद कोरे कागज पर लाल स्याही से या अष्टगंध से लिखकर 100 छोटी-छोटी गोलियां बना लें। उन गोलियों को सवा किलो आटे में घी, शक्कर (चीनी) का बूरा दूध मिला दें। गीले आटे में गोली डालकर छोटी-छोटी आटे की गोलियां बना लें। विभिन्न मंत्र बोलते हुए मछलियों को खिलाएं। धन सम्पत्ति की वर्ष भर कमी नहीं रहेगी।
‘‘ऊँ महाशक्ति वेगेन, आकर्षय आकर्षय मणिभद्र स्वाहा।’
’७ - दीवाली या लक्ष्मी पूजन के समय कौड़ियों को केसर या हल्दी से रंगकर पीले कपड़े में बांध लें और फिर इन कौड़ियों को धन रखने के स्थान पर रखें, धन की कमी नहीं रहेगी।
 

💯✔ दीपावली के समृद्धि कारक प्रयोग

१. दीपावली के दिन या किसी भी दिन प्रातःकाल उठकर तुलसी के की माला बनाकर श्री महालक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें। धन लाभ होगा।
२. दीपावली की या किसी सुभ दिन के प्रातःकाल सबसे पहले साबुत काले उड़द और चमकीला काला वस्त्र किसी को दान करें या शनि मंदिर में चुप-चाप रख दें, ग्रह दोष समाप्त हो जायेगा।
३. दीपावली के दिन काली मिर्च के दाने  ‘ऊँ क्लीं’  बीज मंत्र का जप करते हुए परिवार के सदस्यों के सिर पर घुमाकर दक्षिण दिशा में घर से बाहर फेंक दें, शत्रु शांत हो जायेंगे।
४. दीपावली की रात मे 11 हल्दी की गांठ लें, इनको पीले कपड़े में बांध लें फिर लक्ष्मी-गणेश की संयुक्त फोटो के सामने घी का दीपक जलायें और 11 माला निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
‘‘ऊँ वक्र- तुण्डाय हं।’’ फिर हल्दी की गांठों वाली पोटली अपने हाथ में लेकर ‘श्रीं श्रीं’ का जाप करते हुए कैश बाक्स में रखें और प्रतिदिन धूप दें। लक्ष्मी स्थिर रहेगी।
5. दीपावली के दिन या किसी सुभ दिन मे 11 ‘‘कौड़ियां,’’11 गोमती चक्र, 5 सुपारी एवं 5 काली हल्दी की गांठें लें। अब काली हल्दी की गांठ पर पीली पिसी हुई हल्दी की छींटे लगाते समय श्रीं श्रीं का उच्चारण करते रहें। दीपावली या किसी रत्री की सारी रात उस सामग्री को पड़े रहने दें, अगले दिन इन सारी वस्तुओं को पीले कपड़े मं बांधकर तिजोरी में रख दें, लक्ष्मी वर्ष भर प्रसन्न रहेंगी।

💯✔ दीपावली के समृद्धिकारक प्रयोग 

रात्रि के प्रारंभ में तेल का एक दीपक घर के दरवाजे पर एक कौड़ी डालकर रखें। ग्यारह या इक्कीस दीपक अपने घर के समीप के मंदिर में रखें। तेल के ही एक सौ आठ दीपक अपने घर के खुले स्थान में चारों ओर रखें। तेल का एक बड़ा दीपक व घी के ग्यारह दीपक अपने पूजा स्थल पर रखें। एक दीपक तुलसी के समीप अवश्य रखें। पूजा स्थल पर रखे दीपक तभी प्रज्वलित करें जब पूजा का समय हो। दरवाजे पर रखे दीपक में से कौड़ी ब्रह्म मुहूर्त तक कभी भी निकाल कर अपनी तिजोरी में रखें, धन की वृद्धि होगी।

💯✔ दीपावली के समृद्धिकारक प्रयोग 

१. सरसों के तेल से दरिद्रता दूर भागती है, सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और भूत-प्रेत, ऊपरी बलाएं आदि पास नहीं आ पाते ,इसलिए सरसों तेल का दीपक दीपावली की रात्री अवश्य जलाएं |
२. रात्रि को मुख्य पूजन में अपने बही खाते, कलम, पर्स, सोना-चांदी, रत्न, आभूषण, धन आदि रखें। विद्यार्थीगण अपनी पुस्तकें अवश्य रखें। इससे सभी कामनाएं पूरी होती हैं। इसके अतिरिक्त श्री यंत्र, एकाक्षी नारियल, श्रीफल, शंख मालाओं और सभी देवी देवताओं की मूर्तियों का भी पूजन अवश्य करें।
३.  रात्रि को ग्यारह से एक बजे के मध्य निम्नलिखित मंत्र का कमलगट्टे या स्फटिक की माला से ग्यारह बार जप करें तथा हर एक माला पूरी होने पर अपनी मनोकामना कहें।अगर दिव्या गुटिका या डिब्बी है तो उस पर इस मंत्र का किया गया जप इसके प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है |
मंत्र ¬ ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः
४. दीपावली के अवसर पर श्री सूक्त का पाठ करें। श्री सूक्त की ऋचाओं का हवन करने से भी मां लक्ष्मी अपने साधकों पर प्रसन्न होती है।
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धनतेरस के दिन निम्नलिखित मंत्र से भगवान कुबेर की पूजा करें:

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये। 
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

धन प्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥

कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र:

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

धनतेरस शब्द दो शब्दों ‘धन’ और ‘तेरस’ से मिलकर बना है। जिसका अर्थ क्रमशः ‘धन’ और ‘तेरस’ मतलब तेरह होता है। धनतेरस की पूजा दिवाली से 2 दिन पूर्व की जाती है और इस दिन भगवान कुबेर की पूजा करने का विधान है। क़ारोबारी वर्ग में धनतेरस के दिन विशेष तौर पर पूजा-अर्चना करते हैं। आज के दिन सोने, चांदी, हीरे और अन्य धातु के सामान ख़रीदना बेहद ही शुभ माना गया है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कुबेर को पालनकर्ता कहा गया है। उन्हें ब्रह्माण्ड में सबसे धनी देवता की उपाधी दी गई है। कुबेर को दानवों का देवता भी कहा गया है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान कुबेर ने भगवान वेंकेटेश्वर का विवाह पद्मावती से कराने के लिए धन दिया था। इसी मान्यता के अनुसार लोग तिरूपती मंदिर के वेंकेटेश्वर दान पात्र में दान डालते हैं, ताकि कुबेर के ऋण से उन्हें मुक्ति मिल सके। भारत में धनतरेस का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आज के दिन ख़रीदे गए धातु के सामान, गहने, बर्तन, इत्यादि की पूजा दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के साथ ही की जाती है। धनतेरस के दिन सच्चे मन से भगवान कुबेर की पूजा करने वालों के घर में पूरे साल किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होती है।
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💯✔ दीपावली विशेष यन्त्र रचना 

महालक्ष्मी यन्त्र 

महालक्ष्मी का यन्त्र महालक्ष्मी की प्रतिमा के तुल्य होता है |दीवाली की रात्री में इस यन्त्र की रचना अष्टगंध से भोजपत्र पर अनार की कलम से की जाती है |फिर उसका विधिवत प्राण प्रतिष्ठा और पूजन कर महालक्ष्मी के मंत्र का जप किया जाता है |पूजन में लाल चन्दन ,लाल पुष्प ,अक्षत ,धुप ,दीप ,नैवेद्य |यन्त्र के समस्त पूजनोपचार में शुरू से अंत तक अविछिन्न रूप से महालक्ष्मी का मंत्र जपते रहें |ऐसा ही यन्त्र रचना के समय करें |मंत्र जप कम से कम दो घंटे करके आरती और स्तोत्र पाठ करें |इसके बाद यन्त्र को चांदी के कवच में भरकर गले में धारण करें |इस यन्त्र का पूजन महा मंगलकारी होता है |इस हेतु इसको दीपावली के दिन ताम्बे के अथवा चांदी के अथवा स्वर्ण के पत्र पर अपने हाथों से ही अंकित करना होता है और फिर अग्न्युत्तरण विधि से प्राण प्रतिष्ठा करनी होती है |इसके बाद यह यन्त्र साक्षात प्रतिष्ठित लक्ष्मी प्रतिमा तुल्य हो अति फलप्रद होता है |खुद अंकित न कर सकें तो किसी उच्च साधक से भोजपत्र पर दीपावली को बना प्राण प्रतिष्ठित -अभिमंत्रित यन्त्र प्राप्त कर उसे फ्रेम करा पूजन गृह में स्थापित करना चाहिए |यह किसी प्रतिमा से अधिक अच्छे परिणाम देता है |इसका हमें व्यक्तिगत अनुभव रहा है |
मंत्र -ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः | 
यन्त्र धारण भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है |धन -सम्पदा -वैभव वृद्धि होती है |उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं |घर -परिवार में शान्ति आती है |व्यापार -व्यवसाय में उन्नति होती है |

💯✔ लाखिया यन्त्र  [प्रेम और सम्मान प्राप्ति हेतु ]

इस यन्त्र को दीवाली की रात्री या विशिष्ट शुभ मुहूर्त में भोजपत्र पर अनार की कलम से सोनागेरू अथवा अष्टगंध से लिखकर पास रखने से अग्नि भय से बचाव होता है, |अग्नि से रक्षा करने में इसका प्रभाव अचूक माना जाता है |,अधिकारी वर्ग ,स्वामी और विभागीय जानो की उपेक्षा- अनादर- तिरस्कार भाव यन्त्र के प्रभाव से समाप्त हो जाता है और कर्मचारी शांति पूर्वक अपना कर्त्तव्य निभाता है ,अधिकारियों की कृपा प्राप्त होती है ,|,दम्पतियों के कलह को प्रेम पूर्ण रिश्ते में बदलने में यह यन्त्र सक्षम है |.इस हेतु इसे बाजू या गले में इसे धारण करना चाहिए |,यन्त्र के प्रभाव से पति अथवा पत्नी अथवा अधिकारी अथवा सहकर्मी अनुकूल होते हैं |
अष्टगंध के अभाव में पंचगंध की स्याही भी धारण करने वाले यन्त्र में प्रयुक्त हो सकती है |यह विधि विशेष उन लोगों के लिए कही गयी है जो किसी की अधीनता में काम करते हैं |उच्च अधिकारी वर्ग विभागीय लोगों को यह यन्त्र अनुकूल करता है |अधिकारियों की कृपा प्राप्ति का यह सर्वश्रेष्ठ साधन है |धन प्राप्ति या भौतिक संपत्ति की कामना जैसी आवश्यकता की पूर्ती के लिए यन्त्र की रचना पंचागंध की स्याही से करनी चाहिए |
किन्ही परिवारों में विभिन्न कारणों को लेकर पति -पत्नी के बीच मतभेद उठता रहता है |यह मतभेद कभी कभी उग्र होकर चरम सीमा पर पहुँच जाता है |यहाँ तक की आये दिन होने वाले कलह से पडोसी भी परेशान हो जाते हैं और स्वयं वो दम्पति तो नरक जैसी अवस्था में जी रहे होते हैं |ऐसे विवाहित दाम्पत्य को प्रेम पूर्ण बनाने के लिए यह यन्त्र अद्वितीय है |इस उद्देश्य के लिए यन्त्र की रचना भोजपत्र पर अनार की कलम से करके गले या दायीं भुजा में धारण करना चाहिए |इससे व्यक्ति अपनी पत्नी की दृष्टि में प्रेम सम्मान और विश्वास का पात्र हो जाता है |उपरोक्त स्थितियों में यदि कोई स्त्री यन्त्र को हल्दी के पानी से लिखकर [ प्राण प्रतिष्ठा ,पूजन बाद ]बाएं बाजू में धारण करे तो बिगडैल पति भी उसके अनुकल हो जाता है |

💯✔ चिंतामणि यन्त्र 

चिंतामणि यन्त्र की रचना दीपावली ,होली ,अक्षय तृतीय अथवा रविपुष्य योग में किया जाता है |निर्माणकर्ता को सात्विक ,पवित्र और आध्यात्मिक शक्ति संपन्न होना आवश्यक है | यह सभी प्रकार की चिंता दूर करने वाला होता है |चिंतामणि यन्त्र भोजपत्र पर अनार की कलम से चन्दन -सिन्दूर से लिखकर माथे पर रखे [बांधे]तो दुश्मन से रक्षा हो, केसर-कस्तूरी से लिखकर पास रखे तो सर्वकामनाओं की सिद्धि हो ,वशीकरण के लिए कोरे कपडे पर लिखकर बत्ती बना जलाकर खिलाया जाता है .|इसे शुभ मुहूर्त में ही निर्मित किया जाता है |यह अनेक कार्य पूर्ण करने वाला यन्त्र है |भोजपत्र पर केशर -कस्तूरी -गोरोचन से निर्मित यन्त्र चाँदी के कवच में धारण करने से सर्व कामनाओं की पूर्ती होती है |यह सुरक्षा के साथ आकर्षक प्रभाव भी उत्पन्न करता है |....

💯✔ व्यापार वृद्धिकारक यन्त्र 

इस यन्त्र की रचना दीवाली की आधी रात को की जाती है |इसको सिन्दूर या हिंगुल से दीवार पर [दूकान के बाहर ] लिखा जाता है |इसे भोजपत्र पर लिखाकर लटकाया भी जा सकता है अथवा धारण भी किया जा सकता है |दूकान में लटका कर नित्य धूप दीप करते रहना चाहिए |
भोजपत्र पर यंत्र को पंचगंध से अनार की कलम से लिखना चाहिए |इसके बाद विधिवत पूजन कर दूकान में लगा देना चाहिए |इसे शीशे में फ्रेम भी किया जा सकता है |इसे नित्य धूप दीप दिखाना चाहिए |धारण करने के लिए इसे चांदी के कवच में बंद कर गले या बाजू में धारण किया जाता है |  
यह यन्त्र व्यापार में उत्तरोत्तर वृद्धि देता है |कुदृष्टि से बचाव करता है |सुरक्षा देता है |यदि यह यन्त्र स्त्री के गले या बाजू में धारण करा दिया जाए तो इसके प्रभाव से गर्भ की रक्षा तथा संतान की प्राप्ति होती है |. 

💯✔ सर्वजन वशीकरण प्रयोग 

दीपावली की अमावस्या या अमावश्या की रात्रि को मिट्टी की एक कच्ची हंडिया मंगाकर उसके भीतर सूजी का हलवा रख दें। इसके अलावा उसमें साबुत हल्दी का एक टुकड़ा, ७ लौंग तथा ७ काली मिर्च रखकर हंडिया पर लाल कपड़ा बांध दें। फिर घर से कहीं दूर सुनसान स्थान पर वह हंडिया धरती में गाड़ दें और वापस आकर अपने हाथ-पैर धो लें। ऐसा करने से सर्वजन वशीकरण होता है।.यदि दिव्य गुटिका धारक है तो उस पर काली के वशीकरण का मंत्र रात्री १२ से २ बजे तक लगातार करें |प्रबल वशीकरण प्रभाव उत्पन्न होगा |

💯✔ महालक्ष्मी सर्वतोभद्र यन्त्र 

यन्त्र रचना वर्ष में केवल एक बार दीवाली की रात्री में की जाती है ,इसे भोजपत्र पर अनार की कलम से अष्टगंध की स्याही से लिखा जाता है ,पश्चात पीले आसन पर प्रतिष्ठित कर प्राण प्रतिष्ठा और पूजन करें | पूजन-जप के बाद गुगुल का धुप और गुगुल से ही हवन किया जाता है |यन्त्र रचना और पूजन समय महालक्ष्मी के कमला स्वरुप के मंत्र का जप लगातार चलता रहे |चूंकि कमला तंत्र की शक्ति हैं अतः यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा भी तांत्रिक विधि से होनी चाहिए |
मंत्र -ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः |
पूजन बाद इस मंत्र का १० माला जप करें और फिर १०८ बार मन्त्र पढ़ते हुए गुग्गल से हवन करें |इस बात का ध्यान रहे की जप के पूर्व और पश्चात भी यन्त्र को धुप देने में गुग्गल का प्रयोग करें |इसके बाद यदि पूजन गृह में स्थापित करना हो तो यन्त्र को वहीँ रहने दें और सुबह पूजन गृह में फ्रेम करा स्थापित करें |नित्य इसकी पूजा और मन्त्र जप करते रहें |ध्यान दें प्राण प्रतिष्ठा के बाद यन्त्र चैतन्य होता है और इसकी पूजा रोज होनी चाहिए |यदि धारण करना हो तो सुबह पूजनोपरान्त चांदी के कवच में भरकर धारण करें |यदि संभव हो तो उपरोक्त मन्त्र की एक माल रोज करें |अधिक लाभ होगा |
इस यन्त्र के प्रभाव से यश -सम्मान -संपदा -सफलता सभी कुछ प्राप्त होता है ,दैवी कृपा से व्यक्ति सदैव संमृद्ध और सुखमय जीवन व्यतीत करता है |शान्ति -समृद्धि प्राप्त होती है और उन्नति के मार्ग खुलते हैं |
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दीपावली पर महालक्ष्मी प्रयोग 

          दीपावली पर महालक्ष्मी का विशेष महत्त्व है |इस दिन इनकी पूजा से माना जाता है की वर्ष भर सुख समृद्धि प्राप्त होती है |इस दिन अनेक मन्त्र सिद्ध किये जाते हैं ,यन्त्र बनाये जाते हैं ,तांत्रिक सिद्धियाँ की जाती हैं |यह महानिशा तांत्रिक प्रयोगों और नकारात्मकता हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है |जो तांत्रिक विधियाँ जानते हैं उनके लिए तो महानिशा की साधना आसान होती है ,पर सामान्य लोग इससे कैसे अधिकतम लाभ उठायें ,इस हेतु हम एक विशिष्ट प्रयोग प्रस्तुत कर रहे हैं |जिनके पास दिव्य गुटिका /डिब्बी नहीं है वह इस प्रयोग को हत्था जोड़ी या दक्षिणा वर्ती शंख पर कर सकते हैं |हमारे द्वारा अपने इच्छुक लोगों को पूर्व में जो दिव्य गुटिकाये /डिबिया भेजी गई हैं उस पर यह प्रयोग अत्यधिक प्रभावकारी होगा |अतः दिव्य गुटिका धारक दीपावली के दिन उस पर यह प्रयोग कर अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें इसलिए हम यह प्रयोग लिख रहे हैं ,क्योकि जिन्हें भी हमने डिब्बियां /गुटिकायें भेजी हैं उनके प्रति हमारी नैतिक जिम्मेदारी होती है की हम उन्हें समय समय पर उससे सम्बंधित विशेष विभिन्न प्रयोग बताएं जिससे वह अधिकतम लाभ प्राप्त कर सुखी हो सकें |दीपावली बाद अगले क्रमों में हम दिव्य गुटिका पर नकारात्मक ऊर्जा हटाने ,आकर्षण सिद्धि ,वशीकरण सिद्धि ,व्यापार बाधा निवारक प्रयोग ,आकाश्मिक -आय -व्यवसाय वर्धक प्रयोग ,आजीविका प्राप्ति प्रयोग ,विदेश गमन बाधा निवारक प्रयोग आदि क्रमशः प्रस्तुत करेंगे ,जिससे हमारे दिव्य गुटिका धारक एक ही चमत्कारी डिब्बी से अनेक प्रयोग कर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकें |
प्रयोग 
--------- दीपावली की रात्री शुद्ध स्वच्छ होकर उपयुक्त मुहूर्त में पूजा स्थल पर बैठें |अपने सामने जो भी आपके पहले से लक्ष्मी गणेश हों अथवा जो भी पूजा करनी हो जिसकी भी उन सबको अपने सामने बाजोट या चौकी पर लाल अथवा पीला कपडा बिछाकर रखे |कपडे पर कुमकुम से अथवा सिन्दूर से अष्टदल कमल का निर्माण मध्य में कर उस पर दिव्य गुटिका अथवा लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करता तांत्रिक वस्तु हो स्थापित करें |जिनके पास दिव्य गुटिका न हो वे लक्ष्मी जी को ही रख सकते हैं |इस पूजन में खुद केवल एक वस्त्र धारण करें ,ठंडक महसूस हो तो अतिरिक्त ऊनि वस्त्र से खुद को ढक सकते हैं |पूजन की दिशा पश्चिम की ओर रखें |यदि जप करना आटा हो तो रुद्राक्ष अथवा स्फटिक की माला से इस समय जप करें अन्यथा केवल समय निश्चित कर ले |कम से कम दो घंटे जप करना है |
अब हाथ में जल लेकर विनियोग बोले- 
ॐ अस्य श्री महालक्ष्मी मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि:,गायत्री छन्दः ,श्री महालक्ष्मीर्देवता ,श्रीं बीजं ,नमः शक्तिः ,सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोगः |----------- हाथ का जल भूमि पर छोड़ दें |
अब अगर न्यास करना आता हो तो रिश्यादी न्यास ,कर न्यास आदि करें ,नहीं आता तो खुद में कमला महालक्ष्मी की भावना करें |  अब ध्यान करें ---
ॐ सिन्दूरारुण कान्तिमब्जवसति सौन्दर्यवारान्निधि
कोटिरांगदहारं कुंडल कटीसूत्रादिभी र्भुशिताम |
हस्ताब्जैर्वसूपत्रमब्ज युगलादशौं वहन्तीं परामावीताम 
परिचारिकाभिरनिशं ध्यायेत्प्रियाँ शार्गिण:||
अब आँखें बंद कर अपने मन में लक्ष्मी जी की मूर्ती सजीव करें और धीरे धीरे उन्हें लाकर बाजोट में राखी मूर्ती और दिव्य गुटिका में क्रमशः उन्हें स्थापित करें और भावना करें की लक्ष्मी जी उनमे आकर बैठ गई हैं | 
अब जितना आपको पूजन आता है उतना पूजन करें ,जैसे जल ,अक्षत ,चन्दन ,सिन्दूर ,पुष्प ,धुप ,दीप ,नैवेद्य [प्रसाद या मिष्ठान्न ],लौंग -इलायची आदि समर्पित करें |
इसके बाद आप रुद्राक्ष अथवा स्फटिक की माला से निम्न मंत्र की 11 माला जप करें ,अगर माला करना नहीं आता तो आप २ घंटे तक जप करें |
मंत्र -
 ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ||
जप पूर्ण होने पर हाथ में जल लेकर देवी के बाएं हाथ में जप को समर्पित करें और अपनी सुख समृद्धि धन धान्य की कामना करें |तदुपरांत आरती करें और किसी प्रकार की गलती हेतु क्षमा प्रार्थना करें |
सुबह दिव्य गुटिका अथवा मूर्ती ,यंत्र पूजा स्थान पर स्थापित करें और अगले दिन से रोज कम से कम एक माला उपरोक्त मन्त्र की उस पर करते रहें |
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💯✔ दिवाली पर यंत्र निर्माण है

धनतेरस व दीपावली पर कई प्रकार के यंत्रों के निर्माण का विधान भारतीय परंपरा में देखने को मिलता है। 
दीपावली की महानिशा में निर्मित होने से यंत्रों की अचूकता, विलक्षणता व क्षमता कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है और ये अपने उद्देश्यों को पूर्ण करते हैं।
तंत्रशास्त्र में यंत्रों का विशेष महत्व है। यंत्र का सीधा मतलब है सर्किट या मशीन जो हमारे भौतिक और ऐंद्रिक (इंद्रियों की) आवश्यकताओं, उद्देश्यों और लक्ष्यों को पूर्ण करें।

ओम श्रीं लक्ष्मी दैव्ये नमः इस यंत्र को कागज पर कुमकुम, चंदन, केसर और गुलाब के इत्र से लिखकर इसके समक्ष नित्य अपनी मनोकामना दोहराने से और मंत्रजाप करने से सम्पत्ति में बढ़ोतरी होती है। मंत्र- ओम श्रीं लक्ष्मी दैव्ये नमः

लक्ष्मी प्राप्ति व व्यापारवर्धक यंत्र चौतिसा यंत्र इस यंत्र का चांदी पर निर्माण करके धन-त्रयोदशी के दिन कार्यस्थल में रखने से व्यापार में वृद्धि होती है। मंत्र- ओम श्रीं ह्रीं क्लीं सिद्ध लक्ष्म्यै नमः

💯✔ दिवाली पर यंत्र निर्माण है

धन प्राप्ति बीसा यंत्र दीपावली की रात्रि में भोजपत्र पर केसर से इस यंत्र का निर्माण करके इसे अपनी तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती। मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः

श्री धनप्राप्ति यंत्र इस यंत्र का सवर्ण पर निर्माण करके गले में धारण करके धनलक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धनप्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। मंत्र- ओम क्लीं श्रीं ह्रीं धनं कुरू स्वाहा।
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💯✔ दीपावली
श्वेतार्क की जड़ श्री गणेश का प्रतिरूप समझी जाती है। दीपावली के दिन इस जड़ की पूजा स्थल पर प्राण प्रतिष्ठा की जाए और रोजाना महालक्ष्मी जी के निम्न मंत्रों के साथ उनकी व महालक्ष्मी जी की पूजा की जाए तो माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है:- 'ॐ ह्रीं अष्टलक्ष्म्यै दारिद्र्य विनाशिनी सर्व सुख समृद्धिं देहि देहि ह्रीं ॐ नमः’। 

💯✔ दीपावली के दिन तुलसी की पूजा व रात्रि में कच्चे सूत को शुद्ध केसर से रंग कर निम्न मंत्र का 5 माला जाप करने के पश्चात कार्य स्थल में रखने से व रोजाना इसके दर्शन व पूजा से उन्नति मिलती है 'ॐ श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं ऐश्वर्य महालक्ष्म्यै पूर्ण सिद्धिं देहि देहि नमः’।
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💯✔ दिवाली के प्रयोग टोटका

दीपावली पर यदि लक्ष्मी-गणेश पूजा के साथ इन सरल उपायों को आजमाएं, तो निश्चित ही लक्ष्मी की उसके पास कोई कमी नहीं रहेगी 

आज के अर्थप्रधान युग में व्यक्ति को अथक परिश्रम करने के बाद भी धन का अभाव बना रहता है। हर व्यक्ति की चाहत होती है कि उसके जीवन में सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य सदा बना रहे और लक्ष्मी की उसके पास कोई कमी न हो। इसलिए दीपावली पर यदि लक्ष्मी-गणेश पूजा के साथ इन सरल उपायों को आजमाएं, तो निश्चित ही लक्ष्मी की उसके पास कोई कमी नहीं रहेगी।

नीचे 50 उपाय वर्णित हैं। इनमें से कोई भी दो-तीन उपाय कर लेने से अभीष्ट लाभ की प्राप्ति हो सकती हैः

1) धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के मुख्य द्वार पर ‘ऊँ’ बनाने से धन आयेगा।

2) नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावाली को प्रातःकाल हाथी को गन्ना या मीठा खिलाने से अधिक तकलीफों से मुक्ति मिलती है।

3) दीपावली के दिन किसी भिखारी या गरीब को नौ किलो गेहूं का दान करें और अगले दिन मुख्य द्वार को रंगोली से सजाएं।

4) दीपावली पूजन के बाद शंख और डमरू बजाने से दरिद्रता जाती है और लक्ष्मी आती है।

5) लक्ष्मी पूजन करते समय हकीक की भी पूजा कर उसे धारण करने से धन की वृद्धि होती है। ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी गणेश और धन की देवी लक्ष्मी हैं। इन दोनों का संयुक्त यंत्र महायंत्र कहलाता है। इस दिन इस यंत्र की स्थापना से घर में धन-सम्पत्ति की कमी नहीं रहती है।

6) दीपावली पर ‘श्री यंत्र’, कनकधारा ‘यंत्र’ और ‘कुबेर यंत्र’ की विधिवत स्थापना करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

7) दीपावली की सुबह को गन्ने की जड़ को लाकर रात्रि को लक्ष्मी पूजन में इसकी भी पूजा करने से धन में लाभ मिलता है।

8) लक्ष्मी पूजा में 11 कौड़ियां लक्ष्मी पर चढ़ाएं। अगले दिन कौड़ियों को लाल रूमाल या लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें, धन में वृद्धि होती है।

9) दीपावली के दिन पति-पत्नी सुबह विष्णु मंदिर में एक साथ जाएं और वहां लक्ष्मी को वस्त्र चढ़ाएं, धन की कमी नहीं रहेगी।

10) लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी को कमल अर्पित करें और कमल गट्टे की माला से जाप करें, लक्ष्मी अधिक प्रसन्न होती है।

11) दीपावली के दिन अशोक के वृक्ष की जड़ का पूजन करने से धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।

12) दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को पूए का भोग लगाकर उसे गरीबों में बांटने से चढ़ा हुआ कर्जा उतर जाता है।

13) दीपावली के दिन अपामार्ग की जड़ अपनी दाईं भुजा में बांधें, आर्थिक समस्याएं समाप्त होंगी।

14) दीपावली के दिन पानी का घड़ा लाकर रसोई घर में कपड़े से ढँककर रखने से घर में बरकत और खुशहाली रहेगी।

15) दीपावली के दिन इमली के पेड़ की टहनी काटकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखें- धन में वृद्धि होगी।

16) दीपावली के दिन सायंकाल को बरगद की जटा में गांठ लगा दें, ऐसा करने से अचानक धन मिलता है, धन मिलने के बाद उस गांठ को खोल दें।

17) दीपावली वाले दिन काली हल्दी को सिंदूर और धूप से पूजा के बाद से चांदी के दो सिक्के के साथ लाल कपड़े में लपेटकर धन के स्थान पर रखें तो आर्थिक समस्याएं नहीं रहेंगी।

18) दीपावली वाले दिन दोपहर के समय पीपल के पेड़ की छाया में खड़े होकर चीनी, दूध और घी मिलाकर उसे उस वृक्ष की जड़ में डालें, अभूतपूर्व आर्थिक समृद्धि होगी।

19) यदि आप का पैसा कहीं फंस गया है तो दीपावली के दिन प्रातःकाल जल में लाल मिर्च के 21 बीज डालकर सूर्य को अर्पित करें। आप का फंसा हुआ पैसा निकल आयेगा।

20) दीपावली के अगले दिन गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें पुराने गुड़ की एक डेली और मीठा तेल डालें और दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के बीच में रख दें इससे सुख समृद्धि घर में सदा बनी रहेगी।

21) दीपावली के दिन श्यामा तुलसी के इर्द-गिर्द उगने वाली घास को पीले कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखें आर्थिक समृद्धि होने लगेगी।

22) दीपावली के दिन सायंकाल पीपल के पेड़ के नीचे सात दीपक जलाएं और सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें। इससे सभी आर्थिक समस्याओं का अंत हो जायेगा।

23) दीपावली के दिन श्मशान में स्थित शिव मंदिर में जाकर दूध और शहद मिलाकर अभिषेक करें। सट्टे और शेयर बाजार से धन मिलेगा।

24) यदि आपके जीवन में कोई आर्थिक संकट की स्थिति चल रही हो, तो दीपावली के दिन एक मिट्टी के बर्तन में शहद भर लें तथा उसे ढँककर किसी सुनसान स्थान में गाड़कर आ जायें आपका संकट टल जायेगा।

25) दीपावली के दिन काली हल्दी के नौ दाने लेकर उन्हें रेशमी धागे में पिरोकर उसकी माला बना लें और धूप दीप दिखाएं फिर गले में धारण कर लें। यदि किसी तंत्र बाधा के कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ गई होगी तो ठीक हो जायेगी।

26) दीपावली से पूर्व मंगलवार के दिन लाल चंदन, लाल गुलाब के पुष्प और रोली आदि को लाल कपड़े में बांधकर दीपावली की रात्रि को धन के स्थान या तिजोरी में रख दें धन में वृद्धि होगी।

27) दीपावली के दिन प्रातःकाल उठकर तुलसी के पत्तों की माला बनाकर श्री महालक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें, ऐसा करने से धन में वृद्धि होगी।

28) दीपावली के दिन काली मिर्च के दाने ‘क्लीं’ बीज मंत्र के जाप के साथ अपने तथा परिवार के सदस्यों के सिर पर घुमाकर दक्षिण दिशा में घर से बाहर फेंक दें, धन की वृद्धि होगी और शत्रु शांत हो जायेंगे।

29) दीपावली की रात्रि को हल्दी की 11 गांठ लें। इन्हें पीले कपड़े में बांधें। फिर लक्ष्मी-गणेश का संयुक्त फोटो अपने पूजा के स्थान पर रखें, घी का दीपक जलाएं। चंदन-पुष्प आदि चढ़ाएं इसके पश्चात् निम्न मंत्र का जाप 11 माला करें। मंत्र - ‘‘ऊँ वक्रतुंडाय हुँ’’।। फिर पीले कपड़े में बंधी हुई हल्दी की गांठों को निकालें और श्री-श्री का जाप करें और फिर धन के स्थान में रख दें। धन की कमी नहीं होगी।

30) दीपावली की शाम एक सुपारी व ताबें का एक सिक्का लेकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। रविवार को उसी पेड़ के पीपल का पत्ता लाकर कार्य स्थल पर गद्दी के नीचे या गद्दी के पास रख दें व्यापार में वृद्धि होगी।

31) दीपावली की रात्रि से शुरु कर लगातार 7 दिन महालक्ष्मी यंत्र के सम्मुख कमल गट्टे की माला से ‘ऊँ महालक्ष्म्यै’ नमः मंत्र का जाप 11 माला करें, अंतिम दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करायें, आर्थिक उन्नति होगी।

32) दीपावली के दिन से लगातार 51 दिनों तक एक रुपया किसी भी मंदिर में मां लक्ष्मी के नाम से अर्पित करें तथा धन वृद्धि के लिए मां लक्ष्मी से प्रार्थना करें, धन की वृद्धि जरूर होगी।

33) दीपावली के अवसर पर यदि कोई हिजड़ा इनाम लेने आये, तो उसे श्रद्धानुसार 21, 35, 51 रूपये दें तथा एक सिक्का उससे लेकर या उससे स्पर्श करवाकर तिजोरी में रखें, धन की कमी वर्ष भर नहीं रहेगी।

34) दीपावली के दिन पीपल का एक पत्ता जो अख्ंाडित हो, प्रार्थना करके ले आयें, उसे पूजा स्थान में रखें। फिर प्रत्येक शनिवार को नया पत्ता लायें और पुराने पत्तों को पेड़ के नीचे रख आयें घर में लक्ष्मी का स्थाई वास रहेगा।

35) लक्ष्मी समुद्र की पुत्री हैं, समुद्र से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख, मोती शंख एवं गोमती चक्र लक्ष्मी के भाई बंधु हैं। दीपावली की रात्रि से इन्हें घर में रखें और पूजन करें लक्ष्मी नहीं जायेंगी।

36) दीपावली के दिन झाड़ू खरीदकर लायें। पूजा से पहले उससे थोड़ी सी सफाई करें फिर उसे एक तरफ रख दें। अगले दिन से उस झाड़ू का प्रयोग करें। इससे दरिद्रता जायेगी और लक्ष्मी का आगमन होगा।

37) नरक चतुर्दशी को संध्या समय घर की पश्चिमी दिशा में खुले स्थान पर अथवा घर के पश्चिम में 14 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं, उनके आशीर्वाद से समृद्धि होगी।

38) दीपावली के पांच पर्व होते हैं (धनतेरस, चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया)। पांचों दिन दीपक (चार छोटे, एक बड़ा) जरूर जलाएं। दीपक रखने से पहले आसन बिछाएं फिर खील, चावल रखें तथा उस पर दीपक रखें। धन की वृद्धि सदा बनी रहेगी।

39) भाई दूज के दिन एक मुट्ठी अखंडित बासमती चावल को बहते जल में महालक्ष्मी को याद करते हुए 
बहाने रूकवाटे दूर होती है।

40) दीपावली की रात्रि में काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उतारें और घर की पश्चिम दिशा में फेंक दें, ऐसा करने से धन हानि बंद हो जायेगी।

41) रोज कार्यस्थल पर जाने से पहले निम्नलिखित मंत्र का एक माला जप करें ‘ऊँ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृह धनं पूरय पूरय चिन्तायै दूरय दूरय स्वाहा’’। इससे व्यवसाय में अद्भुत लाभ होगा।

42) एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर पारद लक्ष्मी जी को स्थापित करें, फिर 7 कौड़ियों को लक्ष्मी जी के ऊपर से उतारते हुए उनके चरणों में रखें। कौड़ियों को उतारते समय निम्न मंत्र का जाप करें। मंत्र: ‘‘ऊँ श्रीं ह्रीं महालक्ष्मी मम गृह आगच्छ स्थिर फट्’’।। इस उपाय से लक्ष्मी जी का स्थिर निवास रहेगा।

43) दीपावली के बाद पहली बार जब चंद्रमा दिखाई दे तो उस दिन से अगली पूर्णिमा तक हर रोज रात को केले के पर दही-भात (चावल) रखकर चंद्रमा को दिखाएं और फिर मंदिर में पुजारी को दे दें। इससे चंद्रमा अचानक धन देता है।

44) आंवले के फल में, गोबर में, शंख में, कमल में और सफेद वस्त्रों में लक्ष्मी का वास रहता है। इनका प्रयोग करें- आंवला सदा घर में या गल्ले में रखें।

45) दीपावली के दिन अपनी दुकान के गल्ले के नीचे काली गुंजा के दाने डालकर निम्न मंत्र का 5 माला जप करें और रोज महालक्ष्मी जी के सामने दीपक जलाएं। व्यवसाय में होने वाली हानि रुक जायेगी। ‘‘ऊँ ऐं ह्रीं विजय वर दाय देवी मम’’।

46) कमल के बीज के 108 दाने घी में डुबोकर एक-एक करके अग्नि में लक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए समर्पित करके आहुति दें। घर की दरिद्रता दूर हो जायेगी।

47) दीपावली की रात्रि एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। गेहूं से उस पर स्वास्तिक बनायें, फिर उस पर एक थाली रखें फिर थाली में कुंकुम (कुमकुम) से ‘‘गं’’ लिखें उस पर श्वेतार्क गणपति श्रीफल व 7 कौड़ियां रखें। फिर चंदन की माला से निम्न मंत्र जप करें। ‘‘ऊँ सर्व सिद्धि प्रदायेकित्व सिद्धि बुद्धि प्रदो भवः श्री’’। अगले दिन 5 कन्याओं को पीला भोजन कराएं। श्वेतार्क को घर में रखें शेष सामग्री जल में प्रवाहित कर दें।

48) दुकान के गल्ले में कमल के बीज के साथ श्री यंत्र रखें एवं रोज धूप दीप दिखाएं। धन की कमी नहीं रहेगी।

49) चैतीसा यंत्र सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है, इसे दीपावली की रात या रवि पुष्य नक्षत्र के दिन केसर से अनार की कलम से भोज पत्र पर लिखें। यंत्र लिखते समय लक्ष्मी जी के किसी मंत्र का जाप करते रहें, फिर घर या दुकान में रखें। लक्ष्मी जी का वास स्थाई रूप से रहेगा।

50) व्यापार वृद्धि के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र का उपयोग करना चाहिए। इसे दीपावली के दिन केसर से अनार की कलम से भोज पत्र पर बनाएं। इसमें एक वर्ग बनाकर 9 उपवर्ग बनाएं। पहली पक्ति में 8, 1, 6 दूसरी पंक्ति में 3, 5, 7 और तीसरी पंक्ति में 4, 9, 2 लिखें। फिर इस यंत्र की रोज पूजा करें। इससे व्यापार में वृद्धिड होगी, धन का आगमन होता रहेगा।
अब आप हो सकते हैं मालामाल,कल बरसेगा धन छप्‍पर फाड़के

पूर्णिमा की रात जब आसमान में चांदनी का शासन होता है, उस समय मां लक्ष्मी का पूजन कर उनसे वरदान पाने का सुनहरी मौका आ गया है। 15 अक्टूबर  को आए इस मौके का पूरा लाभ उठाएं।

लक्ष्मी पूजा घर के पूजा स्थल या तिजोरी रखने वाले स्थान पर करनी चाहिए, व्यापारियों को अपनी तिजोरी के स्थान पर पूजन करना चाहिए। उक्त स्थान को गंगा जल से पवित्र करके शुद्ध कर लेना चाहिए, द्वार व कक्ष में रंगोली को बनाना चाहिए, देवी लक्ष्मी को रंगोली अत्यंत प्रिय है। सांयकल में लक्ष्मी पूजन समय स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्रों को धारण करना चाहिए विनियोग द्वारा पूजन क्रम आरंभ करें।

मां लक्ष्मी को सुपारी बहुत लुभाती है। यह धन लाभ और सौभाग्य की सूचक है। शास्त्रों के अनुसार सुपारी चमत्कारी होती है।

* लक्ष्मी पूजा के उपरांत सुपारी पर लाल धागा लपेट कर उसका अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि से पूजन करके उसे तिजोरी में रखें।

* कारोबार में उन्नति एवं वृद्धि के लिए शनिवार की रात एक सुपारी को एक सिक्के के साथ पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। रविवार की सुबह पीपल का एक पत्ता तोड़ कर तिजोरी में रख दें। सिद्ध सुपारी को तिजोरी में रखने से कभी भी धन की कमी नहीं होती।

* शनिवार की रात तकरीबन 09:00 बजे से 10:30 बजे के बीच गुलाबी कपड़े पहनें और गुलाबी आसान का प्रयोग करें। गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें। किसी भी थाली में गाय के घी के 8 दीपक जलाएं। गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। लाल फूलो की माला चढ़ाएं। मावे की बर्फी का भोग लगाएं। अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें और कमलगट्टे हाथ में लेकर इस मंत्र का यथासंभव जाप करें।

मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा।।

जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे घर की तिजोरी में स्थापित करें। इस उपाय से जीवन के आठों वर्गों में सफलता प्राप्त होगी।

विधिवत रुप से श्री महालक्ष्मी का पूजन करने के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी और मां लक्ष्मी की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।

साधनां पथ और काम बाधा

मित्रों जीवन में बहुत बार ऐसा होता है कि व्यक्ति साधना तो करना चाहता है परंतु देश काल और परिस्थितियों द्वारा निर्मित माहौल के कारण व बार-बार काम भाव से ग्रस्त हो जाता है और ऐसी स्थिति में उसके द्वारा किसी भी प्रकार का मंत्र जाप करना साधना करना बिल्कुल भी संभव ही नहीं हो पाता है इस स्थिति में व्यक्ति या तो साधना करना छोड़ देता है या फिर उसे अपने जीवन में घुटन सी महसूस होने लगती है क्योंकि काम भाव का आकर्षण संसार का सबसे तीव्रतम आकर्षण होता है मित्रों पूज्य सदगुरुदेव जी ने इस समस्या का उपाय हमें पूर्व में ही काम उच्चाटन साधना के रूप में सुझाया हुआ है अतः यदि कोई इस प्रकार की समस्या से पीड़ित है तो वह इस साधना के माध्यम से अपना लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर सकता है

नवविवाहितों को छोड़कर अगर कोई वास्तव में साधनां पथ पर आगे बढ़ना चाहे तो उसको काम उच्चाटन का आश्रय लेना चाहिए। सद्गुरुदेब ने प्रयोग दिया है इसका मैन अनुभूत भी किया है अद्भुत परिणाम प्राप्त होता है इस प्रयोग से

उस में जो लिखा है कि सन्यासी के लिए है वगैरा वो तो ठीक है लेकिन अगर काम वासना साधनां मार्ग में बाधक है तो उसको करना ही करना होगा कोई दूसरा रास्ता नहीं 
उसके बाद भी व्यक्ति काम कला में पूर्ण समर्थ बना रहता है बल्कि पहले से भी अधिक समर्थ हो जाता है बस इतना फर्क पड़ता है कि जरा जरा सी चीज से वो टीन के डिब्बे के तरह गर्म और उतनी ही तीव्रता से ठंडा नहीं होता बल्कि तब वास्तव में पौरुष का अर्थ समझ आता है

काम उच्चाटन का तात्पर्य यह नहीं है की साधक नपुंसक बन जाए वरन उसका प्रभाव यह होता है कि आजकल के असभ्य एवं प्रदूषित सामाजिक वातावरण के कारण साधकों के मन-मस्तिष्क में जो कामवासना असंतुलित हो गई है वह पूर्ण रूप से संतुलित एवं नियंत्रित हो जाती है

ॐ नमो शिवाय पुष्टाय वरदाय अनंगाय उच्चाटनाय नमः ।

रुद्र सूक्त से या पंचाक्षरी मंत्र से शिवलिंग का अभिषेक करके रुद्राक्ष माला उत्तराभिमुख जप करें। सवालाख जप से 5 वर्ष इक्यावन हजार से 1 वर्ष तक निर्बाध "निष्काम" साधनां कर पाएंगे। पुस्तक में दिया विधान अलग है मैंने वो लिखा जो मैंने स्वयं किया ।

जिस किसी को धातु क्षय या किसी जाने अनजाने धातु रोग या / गुप्त रोग के कारण शरीर का क्षय हो गया हो। उन को एक शुक्र ग्रह के तांत्रोक्त मंत्र का 21 हजार या 51 हजार जप करना चाहिए। 

ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

इस से शरीर बलवान एवं वीर्यवान हो जाता है चेहरा चमकने लग जाता है। एवं चमत्कारी रूप में सारी समस्या छू मंतर हो जाती है।

जो व्यक्ति मंत्र जप भी करने में समर्थ नहीं हो उसको आयुर्वेद के शरण मैं जाना चाहिए हालांकि मंत्र का प्रभाव औषधि के प्रभाव से कहीं ज्यादा चमत्कारी और तीव्र होता है परंतु जब साधक मंत्र जप करने में समर्थ ही ना हो तब हमारे पास औषधि उपचार का मार्ग ही शेष बचता है इसके लिए हमें ऐसे व्यक्ति को स्वेत मूसली चूर्ण नित्य रात्रि दूध से एक चम्मच तथा चंद्र प्रभा वटी (रसायन योग) {किसी भी ब्रांड का} की 2-2 गोलियां सुबह शाम खाने के बाद लेना चाहिए इससे 3-4 दिन में ही उनका कायाकल्प आरम्भ हो जाता है। 

व्यसन और विसंगतियों को अगर त्याग दें तो कोई भी साधनां पथ पर आगे बढ़ सकता है।

 नौ (9) आदतों से नवग्रहो का सम्मान कर सुधारें अपना घर  - जीवन :
१)👉::
अगर आपको कहीं पर भी थूकने की आदत है तो यह निश्चित है
कि आपको यश, सम्मान अगर मुश्किल से मिल भी जाता है तो कभी टिकेगा ही नहीं . wash basin में ही यह काम कर आया करें ! यश,मान-सम्मान में अभिवृध्दि होगी।

२)👉::
जिन लोगों को अपनी जूठी थाली या बर्तन वहीं उसी जगह पर छोड़ने की आदत होती है उनको सफलता कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती.!
बहुत मेहनत करनी पड़ती है और ऐसे लोग अच्छा नाम नहीं कमा पाते.! अगर आप अपने जूठे बर्तनों को उठाकर उनकी सही जगह पर रख आते हैं तो चन्द्रमा और शनि का आप सम्मान करते हैं ! इससे मानसिक शांति बढ़ कर अड़चनें दूर होती हैं।

३)👉::
जब भी हमारे घर पर कोई भी बाहर से आये, चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला, उसे स्वच्छ पानी ज़रुर पिलाएं !
ऐसा करने से हम राहु का सम्मान करते हैं.!
जो लोग बाहर से आने वाले लोगों को हमेशा स्वच्छ पानी  पिलाते हैं उनके घर में कभी भी राहु का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.! अचानक आ पड़ने वाले कष्ट-संकट नहीं आते।

४)👉::
घर के पौधे आपके अपने परिवार के सदस्यों जैसे ही होते हैं, उन्हें भी प्यार और थोड़ी देखभाल की जरुरत होती है.!
जिस घर में सुबह-शाम पौधों को पानी दिया जाता है तो हम बुध, सूर्य और चन्द्रमा का सम्मान करते हुए परेशानियों का डटकर सामना कर पाने का सामर्थ्य आ पाता है ! परेशानियां दूर होकर सुकून आता है। 
जो लोग नियमित रूप से पौधों को पानी देते हैं, उन लोगों को depression, anxiety जैसी परेशानियाँ नहीं पकड़ पातीं.!

५)👉::
जो लोग बाहर से आकर अपने चप्पल, जूते, मोज़े इधर-उधर फैंक देते हैं, उन्हें उनके शत्रु बड़ा परेशान करते हैं.!
इससे बचने के लिए अपने चप्पल-जूते करीने से लगाकर रखें, आपकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी।

६)👉::
उन लोगों का राहु और शनि खराब होगा, जो लोग जब भी अपना बिस्तर छोड़ेंगे तो उनका बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा, सिलवटें ज्यादा होंगी, चादर कहीं, तकिया कहीं, कम्बल कहीं ?
उसपर ऐसे लोग अपने पुराने पहने हुए कपडे़ तक फैला कर रखते हैं ! ऐसे लोगों की पूरी दिनचर्या कभी भी व्यवस्थित नहीं रहती, जिसकी वजह से वे खुद भी परेशान रहते हैं और दूसरों को भी परेशान करते हैं.!
इससे बचने के लिए उठते ही स्वयं अपना बिस्तर समेट दें.! जीवन आश्चर्यजनक रूप से सुंदर होता चला जायेगा।

७)👉::
पैरों की सफाई पर हम लोगों को हर वक्त ख़ास ध्यान देना चाहिए, जो कि हम में से बहुत सारे लोग भूल जाते हैं ! नहाते समय अपने पैरों को अच्छी तरह से धोयें, कभी भी बाहर से आयें तो पांच मिनट रुक कर मुँह और पैर धोयें.!
आप खुद यह पाएंगे कि आपका चिड़चिड़ापन कम होगा, दिमाग की शक्ति बढे़गी और क्रोध
धीरे-धीरे कम होने लगेगा.! आनंद बढ़ेगा।

८)👉::
रोज़ खाली हाथ घर लौटने पर धीरे-धीरे उस घर से लक्ष्मी चली जाती है और उस घर के सदस्यों में नकारात्मक या निराशा के भाव आने लगते हैं.!
इसके विपरीत घर लौटते समय कुछ न कुछ वस्तु लेकर आएं तो उससे घर में बरकत बनी रहती है.!
उस घर में लक्ष्मी का वास होता जाता है.! हर रोज घर में कुछ न कुछ लेकर आना वृद्धि का सूचक माना गया है.!
ऐसे घर में सुख, समृद्धि और धन हमेशा बढ़ता जाता है और घर में रहने वाले सदस्यों की भी तरक्की होती है.!

९)👉..
जूठन बिल्कुल न छोड़ें । ठान लें । एकदम तय कर लें। पैसों की कभी कमी नहीं होगी।
अन्यथा नौ के नौ गृहों के खराब होने का खतरा सदैव मंडराता रहेगा। कभी कुछ कभी कुछ । करने के काम पड़े रह जायेंगे और समय व पैसा कहां जायेगा पता ही नहीं चलेगा।

अच्छी बातें बाँटने से दोगुनी तो होती ही हैं 
- अच्छी बातों का महत्त्व समझने वालों में आपकी इज़्जत भी बढ़ती है🙏


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