सफलता आपके हाथ में है PARASHMUNI

💯✔ आपकी सफलता आपके हाथ में है

आपका मष्तिष्क आपकी सबसे कीमती संपत्ति है |यह हमेशा आपके साथ है |लेकिन इसकी अद्भुत शक्तियां तभी आपको मिल पाएंगी जब आप इसका उपयोग करना सीख लेंगे |हमारा कहने का तात्पर्य यह नहीं की आप अपनी मष्तिष्क या बुद्धि का उपयोग नहीं करते ,अपितु हम यह कहना चाहते हैं की आप निश्चित सफलता ही मिले इस हेतु इसकी निश्चित कार्यप्रणाली अगर सीख लें तो सफलता बढ़ जायेगी |जैसा हम जानते हैं की हमारे मष्तिष्क के दो स्तर होते हैं -चेतन या तार्किक स्तर और अवचेतन या अतार्किक स्तर |आप अपने चेतन मन से विचार करते हैं |आपके आदतन विचार आपके अवचेतन मन में उतर जाते हैं ,जो आपके विचारों की प्रकृति के अनुरूप परिस्थितियां बनाता है |आपका अवचेतन मन आपकी भावनाओं का स्थान है |यह रचनात्मक है |अगर आप अच्छा सोचते हैं ,तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे |अगर आप बुरा सोचते हैं तो आपको बुरे परिणाम मिलेंगे |आपका मष्तिष्क इसी तरह काम करता है |
याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की जब अवचेतन मन किसी विचार को स्वीकार कर लेता है ,तो वह इस पर काम करने लगता है |आश्चर्यजनक और सूक्ष्म सत्य यह है की अवचेतन मन का नियम अच्छे तथा बुरे दोनों तरह के विचारों पर सामान रूप से काम करता है |अगर इस नियम का नकारात्मक प्रयोग किया जाए ,तो यह असफलता ,कुंठा और दुःख उत्पन्न करता है |दूसरी तरह अगर आपकी आदतन सोच सद्भावना पूर्ण और सृजनात्मक है ,तो आपको आदर्श सेहत ,सफलता और समृद्धि मिलती है |जब आप सही तरीके से सोचने और महसूस करने लगते हैं ,तो आपको मानसिक शान्ति और स्वस्थ शरीर हमेशा मिलते हैं |आप मानसिक रूप से जिसे भी सच मानेंगे और जिसका दावा करेंगे ,आपका अवचेतन मन उसे स्वीकार कर लेगा और उसे साकार कर देगा |आपको तो बस अपने अवचेतन मन से अपने विचार को स्वीकार भर करवाना है |इसके बाद अवचेतन मन का नियम आपकी मनचाही सेहत ,शान्ति और समृद्धि उत्पन्न कर देगा |आप आदेश देते हैं और आपका अवचेतन मन उस पर छोड़ी गई वैचारिक छाप को साकार करने के लिए पूरी निष्ठां से काम करता है |
आपके मष्तिष्क का नियम यह है की आपके अवचेतन मन की प्रतिक्रिया ,आपके चेतन मन में रखे गए विचार की प्रवृत्ति से तय होती है |जब विचार आपके अवचेतन मन तक पहुँच जाते हैं ,तो मष्तिष्क की कोशिकाओं में उनकी छाप बन जाती है |जैसे ही आपका अवचेतन किसी विचार को स्वीकार कर लेता है ,यह उसे साकार करने में तत्काल जुट जाता है |विचारों के साहचर्य के अनुसार काम करके यह अपने लक्ष्य को साकार करने के लिए ज्ञान के हर उस हिस्से का इस्तेमाल करता है जो आपने जिन्दगी भर इकठ्ठा किया है |यह आपके भीतर की असीमित शक्ति ,ऊर्जा और बुद्धि का इस्तेमाल करता है |परिणाम पाने के लिए यह प्रकृति के सभी नियमों का इश्तेमाल करता है |कई बार यह आपकी मुश्किलों का समाधान तत्काल खोज लेता है ,जबकि कई बार कई दिनों ,सप्ताहों या इससे भी ज्यादा समय लग सकता है |इसके तरीके अबूझ हैं |
आपको याद रखना चाहिए की चेतन और अवचेतन दो मष्तिष्क नहीं हैं ,|वह तो एक ही मष्तिष्क में होने वाली गतिविधियों के दो क्षेत्र हैं |आपका चेतन मन तार्किक मष्तिष्क है |यह मष्तिष्क का वह हिस्सा है ,जो विकल्प चुनता है |उदाहरण के लिए आप अपनी पुस्तकें ,अपना घर ,अपना जीवनसाथी चुनते हैं |आप अपने सारे निर्णय चेतन मन से करते हैं |इनमे जिन निर्णयों में प्रबल विश्वास होता है ,आपका अवचेतन मन उसे स्वीकार कर लेता है |यह आपके चेतन मन की तरह तर्क नहीं करता है या बहस नहीं करता है |यह उस मिटटी की तरह है ,जो किसी भी बीज को स्वीकार कर लेता है ,चाहे वह अच्छा हो या बुरा |आपके विचार सक्रिय हैं ,वे बीज हैं |नकारात्मक या विध्वंसात्मक विचार आपके अवचेतन मन में नकारात्मक रूप से काम करते हैं |देर सवेर वे प्रकट हो जायेंगे और अपने अनुरूप किसी नकारात्मक घटना को उत्पन्न कर देंगे |अवचेतन मन आपके सुझावों या विचारों के अनुरूप प्रतिक्रिया करता है |उदाहरण के लिए आप किसी झूठी चीज को सच मान लें चेतन मन से तो आपका अवचेतन मन इसे सच मान लेगा और उसके अनुरूप परिणाम देने लगेगा ,क्योकि आपके चेतन मन ने इसे सच मान लिया है |
सम्मोहन की कार्य प्रणाली अवचेतन पर आधारित है |अगर सम्मोहित अवस्था में सम्मोहनकर्ता कुछ कह देता है तो वह अवचेतन पर अंकित हो जाता है और चरतां के सक्रीय होने पर भी व्यक्ति वाही मानता रहता है जो अवचेतन में अंकित है |अर्थात आपका अवचेतन चयान्हीन है ,उसमे जो बात बैठा देंगे उसके अनुरूप काम करने लगेगा |आप कोई आधार वाक्य चुनें और बार बार दोहरायें तो आपका अवचेतन उसे मान लेगा |जैसे आप सोचते हैं की में दूसरों से अलग हूँ ,बार बार दोहराते हैं तो आपका अवचेतन मान लेता है |कुछ समय बाद आप जहाँ कहीं भी होते हैं आप खुद को अलग और विशेष मानने लगते हैं |अगर बार बार दोहराते हैं कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो कुछ समय बाद आप खुद बेहद आत्मविश्वासी और निडर हो जाते हैं |यही तो सम्मोहनकर्ता आपके अवचेतन में बैठाता है |आप सोचते हैं की में जरुर सफल होऊंगा ,जरुर सफल होऊंगा तो आपका अवचेतन मान लेता है की आप जरुर सफल होंगे |और उस दिशा में अधिकतम उपलब्ध क्षमता आपको देने लगता है |
हम आपको बताते हैं की ऐसा कैसे होता है |और आप कैसे सफल होते हैं |जब आप पूर्ण विश्वास स्व बार बार दोहराते हैं मुझे सफल होना है में सफल होऊंगा ,जरुर होऊंगा तो अवचेतन अन्दर से मान लेता है की आप जरुर सफल होंगे |ऐसा जब अवचेतन में बैठ जाता है तो वह हर जगह यही प्रक्तिक्रिया देता है की आप जरुर सफल होंगे |इससे असफलता के डर से उत्पन्न भय समाप्त हो जाता है |आपका आत्मविश्वास बढ़ जाता है |खुद पर भरोसा बढ़ जाता है |वाणी और कार्य करने में उत्साह और आत्विश्वास उत्पन्न हो जाता है |सकारात्मक विचार और ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है |आपके शरीर में मानसिक विचारों से रासायनिक परिवर्तन होते हैं जो आपका स्वस्थ्य भी सुधारते हैं और मष्तिष्क की कार्यप्रणाली भी |आपकी मानसिक तरंगे शक्तिशाली होती हैं और लक्ष्य की दिशा में प्रक्षेपित होती हैं |आपका अवचेतन सफलता की और अधिकतम उपलब्ध जानकारी अपनी यादों में खोजने लगता है और आपको उनका विश्लेषण कर सुझाव देने लगता है |जिससे आपकी सफलता बढ़ जाती है |यह एक छोटी क्रिया का उदाहरण है |...
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💯✔ आपके सुझाव आपको सफल असफल बनाते हैं

            चेतन मन को कई बार यथार्थवादी मन कहा जाता है ,क्योकि उसका सम्बन्ध बाहरी वस्तुओं से होता है |यथार्थवादी मन बाहरी दुनिया के प्रति जागरूक रहता है |इसके अवलोकन के साधन आपकी पांच इन्द्रियां हैं |आपका यथार्थवादी मन आपके परिवेश से संपर्क का मार्गदर्शक और निर्देशक है |आप अपनी पांच इन्द्रियों के जरिये ज्ञान हासिल करते हैं |आपका यथार्थवादी मन अवलोकन ,अनुभव और शिक्षा से सीखता है और तर्क करता है |अवचेतन मन को अक्सर कल्पनावादी मन भी कहा जाता है |आपका कल्पनावादी मन अपने माहौल के प्रति जागरूक तो होता है ,लेकिन शारीरिक इन्द्रियों के माध्यम से नहीं |आपका वाचेतन मन अंतर्ज्ञान से महसूस करता है |यह आपकी भावनाओं का स्थान और यादों का भण्डार है |आपका कल्पनावादी मन अपने उच्चतम कार्य तब करता है ,जब आपकी यथार्थवादी इन्द्रियां काम न कर रही हों |दुसरे शब्दों में जब यथार्थवादी मन शिथिल हो या उनीदी अवस्था में हो ,तब कल्पनावादी बुद्धि सबसे अच्छी तरह काम करती है |आपका कल्पनावादी मन आँखों की इन्द्रियों के बिना देखता है |यह अतीन्द्रिय क्षमता है |यह कहीं और हो रही घटनाओं को देख और सुन सकता है |आपका कल्पनावादी मन आपके शरीर से बाहर निकलकर दूर देशों की यात्रा कर सकता है और अक्सर बहुत सटीक तथा सच्ची जानकारी ला सकता है |कल्पनावादी मन के माध्यम से आप दूसरों के विचार जान सकते हैं ,बंद चिट्ठियों के मजमून पढ़ सकते हैं या कम्प्यूटर डिस्क पर डिस्क ड्राइव के प्रयोग बिना जानकारी भांप सकते हैं |
                    आप अपने अवचेतन मन को चाहे जो बताएं ,उसमे बहस या विरोध करने की क्षमता नहीं होती |अगर आप इसे गलत जानकारी देंगे तो भी यह उसे सच मान लेगा |फिर यह उस जानकारी को सही बनाने के लिए काम करेगा |यह आपके गलत सुझावों को भी परिस्थितियों, अनुभवों और घटनाओं में साकार कर देगा |आपके साथ जो भी हुआ है ,इसलिए हुआ है क्योंकि आपने विश्वास के माध्यम से अपने अवचेतन मन पर उसकी छाप छोड़ी है |अगर आपने गलत सम्प्रेषण किया है या अपने अवचेतन मन तक विकृत अवधारणाएँ पहुचाई हैं ,तो उन्हें जल्द से जल्द सुधारना महत्वपूर्ण है |इसे करने का सबसे निश्चित तरीका अपने अवचेतन मन को लगातार सृजनात्मक ,सद्भावनापूर्ण और आशावादी विचार देते रहना है |बार बार दोहराने पर आपका वाचेतन मन इन्हें स्वीकार कर लेता है |आपके चेतन मन के आदतन विचार आपके अवचेतन मन में गहरे खांचे बना देते हैं |अगर आपके ये विचार सद्भावनापूर्ण ,शांत ,सृजनात्मक ,आशावादी हैं तो आपका अवचेतन मन प्रतिक्रिया करते हुए सद्भाव ,शान्ति और सृजनात्मक परिस्थितियां उत्पन्न करेगा और आपको ऐसे कोई काम नहीं करने देगा जिससे आपका नुक्सान हो |
                  क्या आप डर ,चिंता और अन्य प्रकार की विनाशक सोच के शिकार हैं ? इलाज है अपने अवचेतन मन की शक्ति को पहचान कर उसे स्वतंत्रता ,ख़ुशी ,और सम्पूर्ण स्वास्थय के आदेश देना |आपका अवचेतन मन रचनात्मक है और दैवी स्रोत के साथ एकरूप है |यह उस स्वतंत्रता ,ख़ुशी और सम्पूर्ण स्वास्थय को उत्पन्न करने लगेगा ,जिसका आदेश आपने पूरे विश्वास से दिया है |अवचेतन मन कार्य की अलग अलग दिशाओं में से किसी एक को नहीं चुन सकता ,इसे तो जो दिया जाता है वह उसे ले लेता है |यह आपके सुझावों को मानता है |सुझाव चेतन मन से दिया जाता है ,जिनमे बहुत शक्ति होती है |मान लीजिये आप किसी जहाज में यात्रा कर रहे हैं जो थोडा हिल रहा है और कोई सहयात्री थोडा डरा हुआ है |आप उस सहयात्री से कहते है की आप की हालत अच्छी नहीं दिख रही है ,आपका चेहरा बिलकुल डरा लग रहा है |मुझे लगता है आपको मतली आ सकती है | थोडा ध्यान दीजिये |इतने मात्र से उस यात्री का चेहरा पीला पड़ जाता है ,आपने मतली के बारे में अभी अभी जो सुझाव दिया वह उसके डर और आशंका से मेल खाता है ,कुछ देर में सोचते सोचते उसका अवचेतन इसे सही मान लेता है और मतली शुरू हो जाती है |इसी तरह आप किसी अन्य डरे को ही मजाक में कहें की आपकी हालत ठीक नहीं दिख रही ,कहीं आपको मतली तो नहीं आने वाली |यहाँ हल्के और गंभीर सुझाव का मात्र अंतर है ,पर दूसरा यात्री इसे हंसी में टाल देता है उसका डर भी कम हो जाता है |बस यही क्रियाविधि है आपके अवचेतन की प्रतिक्रिया देने की |
                   सुझाव की परिभाषा है की किसी बात को किसी के दिमाग में डाल देना ,,आप किस तरह सुझाव देते हैं परिणाम इस पर निर्भर करता है |पहले यात्री में पहले से कुछ कमिय और पूर्वाग्रह थे जो उसे अपने सोच के करीब आपकी बात समझ आये और उस पर उसी दिशा की प्रतिक्रिया आई |दूसरा डरा जरूर था पर उसकी सोच कुछ अलग होने से भी उस पर अलग परिणाम आये ||ऐसा ही होता है दैनिक जीवन में जब आप परिस्थितियों से मजबूर हो असहाय हों और कोई और आपको आकर डरा दे तो आपकी हिम्मत टूट जाती है ,आपका अवचेतन उसे सही मान लेता है और आपको विवश कर देता है पलायन करने को |इन्ही परिस्थितियों में कोई आपको लगातार हिम्मत देता रहे और कहता रहे की नहीं आप निकल जाओगे इन परिस्थितियों से ,आपमें इतनी क्षमता है ,आप खुद भी सोचते हैं की हाँ में जरुर निकल जाऊँगा ,कोई न कोई रास्ता जरुर होगा या है ,तो आपको जरुर रास्ता मिलता है ,हिम्मत बढती है ,क्योकि आपका अवचेतन मान लेता है की आप निकल जाओगे बुरी परिस्थिति से ,रास्ता होगा ,और वह रास्ता तलाश करने लगता है जो उसके ज्ञान कोष में ही कहीं न कहीं संगृहीत होता है ,और वह रास्ता सुझा ही देता है ,आत्मविश्वास बढ़ा ही देता है ,,,जबकि यही अवचेतन निराशा में यही रास्ता नहीं खोज पाता और पलायन करके आत्महत्या तक को मजबूर कर देता है |
                  यही है सुझाव की शक्ति |जैसा सुझाव बार बार आप अपने चेतन मन से दोहराएंगे वह आपके अवचेतन में स्थायी हो जाएगा और उसके अनुसार आपको परिणाम मिलने लगेंगे |बार बार कहेंगे में ये काम नहीं कर सकता ,मुझे सफलता नहीं मिलेगी तो अवचेतन मान लेगा की आप असफल होंगे ,आपसे यह काम नहीं होगा ,,परिणाम होगा की आपमें भय उत्पन्न हो जाएगा ,हताशा उत्पन्न हो जायेगी उस काम के लिए हमेशा के लिए |कभी भी उस काम का नाम लेते ही आपके मन में आएगा नहीं हो सकता ,भले आपक्मे क्षमता ही क्यों न हो |आप लगातार असफल होते ही जायेंगे |अवचेतन सफलता का रास्ता ही नहीं खोजेगा ,जबकि रास्ता कहीं न कहीं उसमे होता जरुर है |अतः कभी नकारात्मक सुझाव न दें ,न खुद को न दुसरे को |
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💯✔ आपको मिल रहे सुझाव और सलाह आपका जीवन प्रभावित करते हैं  

सुझाव दो तरह के होते हैं ,आत्म सुझाव अर्थात जो सुझाव हम खुद से खुद को देते हैं और दूसरा दूसरों द्वारा दिया गया सुझाव या सलाह |हर साधन की तरह इसके भी गलत प्रयोग से नुक्सान हो सकता है ,लेकिन सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह बहुत उपयोगी बन सकता है |एक उदाहरण लेते हैं एक प्रतिभावान गायिका की |उसे एक महत्वपूर्ण आडिसन देने जाना होता है ,जिसके लिए वह बेताब भी होती है और आशंकित भी |पहले के कुछ आडिसन में वह असफल हो चुकी है |कारण असफल होने का डर था |उसकी आवाज अच्छी होने पर भी उसे लगता था की जब गाने का वक्त आएगा तो वह अच्छा नहीं गा पाएगी |वह सोचती थी उसे सम्बंधित भूमिका नहीं मिलेगी |आडिसन लेने वाले उसे पसंद नहीं करेंगे |मै आडिसन देने तो जा रही हूँ लेकिन में जानती हूँ की में असफल हो जाउंगी |इतने और अनजान लोगों का सामन में कैसे करुँगी ,आदि आदि |
     अब उसके अवचेतन मन ने बार बार यही सब सोचने से इसे आग्रह मान लिया और वह इन्हें सच करने में जुट गया तथा उन्हें परिस्थितियों में बदल दिया |कारण अनचाहा आत्म सुझाव था |उसका डर हकीकत में बदल गया और उसके विचार सच हो गए |जब भी परफार्मेंस की स्थिति आती वह घबरा जाती ,डर जाती |इस डर और घबराहट में ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती की वह असफल हो जाती |जब उसे इससे उबरने की सलाह दी गयी तो आखिरकार वह अपने नकारात्मक आत्म सुझावों से उबरने में सफल हो गयी |उसने सकारात्मक आत्म सुझावों से इसका विरोध करके यह काम किया |हर दिन तीन बार वह एक एकांत और शांत कमरे में जाती थी |वह एक आराम कुर्सी पर बैठ शरीर को ढीला छोड़ आँखे बंद कर लेती थी |शारीरिक निष्क्रियता मानसिक निष्क्रियता को प्रेरित करती है और मष्तिष्क को सुझाव के प्रति अधिक ग्रहण शील बना देती है |डर के सुझाव का प्रतिकार करने के लिए वह बार बार कहती ,,में बहुत अच्छा गाती हूँ ,में शांत -संतुलित -आत्मविश्वासी हूँ |मुझमे कोई कमी नहीं हैं |में सबसे बेहतर कर सकती हूँ |आदि आदि |एक सप्ताह में वह वास्तव में बहुत शांत ,आत्मविश्वासी हो गयी और जब निर्णायक दिन आया तो उसने बहुत बढिया आडिसन दिया और उसे भूमिका मिल गयी |यहाँ चमत्कार हुआ लेकिन खुद उसके बल पर |ईश्वर उपर से नहीं आया अपितु उसने खुद में उपस्थित शक्ति को ही मात्र अपने सुझाव से बदल दिया |
बाहरी सुझाव का मतलब है किसी दुसरे व्यक्ति के सुझाव |अक्सर इन सुझावों से हमारा वास्ता पड़ता है |चाहे अनचाहे लोग सुझाव थोपते रहते हैं |अपने लोग भी और बाहरी भी |अगर यह बार बार एक ही चीज दोहरायें तो यह मन में बैठ जाता है और फिर इससे निकलना मुश्किल हो जाता है |अवचेतन में बैठा हुआ सुझाव समय समय पर उसके अनुरूप परिस्थितियां उत्पन्न करता ही रहता है |पैदा होने के बाद से ही हमारे उपर नकारात्मक सुझावों की बमबारी होने लगती है ,चूंकि हम यह नहीं जानते हैं की उनका विरोध कैसे किया जाए ,इसलिए अचेतन रूप में हम उन्हें स्वीकार कर लेते हैं और अपने अनुभव में बदल देते हैं |यह नकारात्मक सुझाव देने वाले अधिकतर हमारे तथाकथित हितैषी और परिवारीजन ही होते हैं ,जो मनोवैज्ञानिक परिणाम को न जानकार अपनी बुद्धिमानी में आपका जीवन खराब कर देते हैं |देखें कुछ सुझावों को और सोचें कौन बार बार ऐसा सुझाव देता है जो आपको असफल बनाते हैं |
* तुम कुछ नहीं कर सकते |
* तुम कभी कुछ नहीं बन पाओगे |
* तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए ,वैसा नहीं करना चाहिए [बिना कारण समझाये ]
* तुम असफल हो जाओगे |
* तुम्हारी सफलता की बिलकुल संभावना नहीं है |
* तुम बिलकुल गलत हो |
* तुम हमेशा गलत काम करते हो |
* तुममे कोई अच्छा गुण नहीं |
* उसको देखो वह ऐसा है ,तुम ऐसे हो ,तुम कुछ नहीं कर सकते |
* इससे कोई फायदा नहीं होगा |
* महत्वपूर्ण यह नहीं की तुम क्या जानते हो ,महत्वपूर्ण तो यह है की तुम किसे जानते हो |
* महत्वपूर्ण यह नहीं की तुम्हारी योग्य क्या है ,महत्वपूर्ण यह है की हम क्या चाहते हैं |
* दुनिया का पतन हो रहा ,रसातल को जा रही |
* क्या फायद किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता |
* इतनी ज्यादा कोसिस करने से कोई फायदा नहीं |
* तुम्हारी उम्र अब ज्यादा हो चुकी हो ,तुम अब अयोग्य हो |
* स्थितियां बिगडती जा रही ,अब कुछ नहीं हो सकता |
* जिंदगी मशीनी चक्की बनके रह गयी है |
* हमारी भावनाओं को कोई नहीं समझता |
* प्रेम सिर्फ पक्षियों के लिए है ,वास्तव में कोई प्रेम नहीं करता |सब स्वार्थ है |
* तुम कभी नहीं जीत सकते |
* सावधान रहना खतरा आने वाला है |
* सावधान रहना तुम्हे भयंकर बीमारी होने वाली है या दुर्घटना होने वाली है |
* कोई भी भरोसे के काबिल नहीं रहा |
* हर आदमी का अपना स्वार्थ है ,बिना स्वार्थ कोई कुछ नहीं करता |
* मेरी किसी को कोई कदर नहीं ,,किसी को मेरी जरुरत नहीं |
* तुम एक काम भी ढंग से नहीं कर सकते |
* आज के समय नैतिकता और आदर्श से जो रहा भूखों मरेगा |
उपरोक्त सब नकरातमक सुझावों के कुछ उदाहरण मात्र हैं |ऐसे सुझाव हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में हमें रोज सुन्ने को मिल जाते हैं |इनमे जो बार बार दोहराया जाता है वह अवचेतन में बैठ जाता है |इन्हें स्वीकार करके आप उन्हें साकार करने में सहयोग देते हैं |बचपन में आप दूसरों के सुझाव का विरोध नहीं कर सकते थे |आपको इस बारे में ज्यादा पता नहीं था किन्तु बड़े होने पर आप इन्हें सुधार सकते हैं |अक्सर उपरोक्त सुझाव आपके हितैषियों द्वारा दिए जाते हैं जो आपको और पीछे लेकर चले जाते हैं |वास्तव में यह आपका भला नहीं करते हालांकि उन हितैषियों का मकसद ठीक ही होता है आपको सुधारना किन्तु इसका विज्ञान न जानने के कारण वह आपका अहित कर जाते हैं जिनसे आप जीवन भर छुटकारा नहीं पा पाते है |
वयस्क होने पर अगर आप ध्यान दें तो इससे छुटकारा पा सकते हैं |आपके पास चयन का विकल्प होता है |आप सकारात्मक आत्म सुझाव द्वारा अपनी कंडीसनिंग दोबारा कर सकते हैं और अतीत के छापों को बदल सकते हैं |इसका पहला कदम उन बाहरी सुझावों के प्रति जागरुक बनना है जो आप पर काम कर रहे हैं ,जो बैठ चुके हैं अवचेतन में |अगर जांच न की जाए तो वे व्यवहार के ऐसे संस्कार डाल सकते हैं जो आपको व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में असफल बना देंगे |सृजनात्मक आत्म सुझाव आपको नकारात्मक कंडीसनिंग से मुक्त कर सकता है |अगर ऐसा नहीं किया गया तो नकारात्मक कंडीसनिंग आपके जीवन को विकृत कर देगी और अच्छी आदतों के विकास को मुश्किल या असंभव बना देगी |उदाहरण के लिए बार बार सुझाव बचपन से दिया गया है की आप कुछ नहीं कर सकते |यह अवचेतन में बैठ गया है |आप कुछ करने जायेंगे ,अन्दर से आपकी ही अब आवाज आएगी ,मुझसे नहीं होगा ,में नहीं कर सकता ,मुझमे क्षमता नहीं |फलस्वरूप ऐसी हताशा उत्पन्न होगी की दिशा में काम करना ही मष्तिष्क बंद कर देगा और रास्ता नहीं खोजेगा |खुद में कमी मान बैठ जाएगा और अगर अवसर भी आता है तो आप उसे पकड़ नहीं पायेंगे |
इसलिए नियमित रूप से इन नकारात्मक थोपे गए सुझावों की जांच करें |इन आत्म विनाशक सुझाव देने वालों और सुझावों पर दया करने की जरुरत नहीं |इनका प्रतिकार करें |आप अगर बचपन -किशोरावस्था से जवानी तक के सुझावों का विश्लेषण करें तो पायेंगे अधिकतर सुझाव झूठे थे |सुझावों का अर्थ आपमें डर पैदा करके आपको नियंत्रित करना था या है अथवा आपको अपने अनुसार चलाना था |धीरे धीरे विश्लेसन से आपको पता चल जाएगा की जाने अनजाने में लोगों के सुझावों का उद्देश्य यह होता है की आप वैसा ही सोचें ,महसूस करें और काम करें जैसा वे चाहते हैं ,ताकि उन्हें फायदा पहुचे ,भले ही आपको नुक्सान हो जाए |इनका आपकी योग्यता ,क्षमता ,भावनाओं और उन्नति से कोई लगाव नहीं होता |अधिकतर अपने स्वार्थ में ऐसा करते हैं |बहुत कम होते हैं जो वास्तव में आपका हित चाहते हैं ,वह भी नकारात्मक सुझावों को ही हथियार बनाते हैं आपको अच्छा मार्ग दिखाने में |पर वास्तव में वह आपका अहित ही करते हैं |अतः खुद को सकारातमक सुझाव इनके विपरीत दें |आप सफल होंगे और अनेक समस्याओं से निकल जायेंगे |
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💯✔ एक सुझाव किसी का जीवन नष्ट अथवा समाप्त कर सकता है

सुझाव अथवा सलाह एक सार्वभौम हक़ लोगों को लगता है |जिसे देखो दुसरे को सलाह देता नजर आता है |भले दुसरे की परिस्थिति न जानता हो ,समस्या न समझता हो ,क्षमता न देखता हो कितु हर कोई सलाह बिन मागे दे देता है |कभी भी यह नहीं सोचता की उसकी सलाह का परिणाम क्या हो सकता है |यह तो समाज और लोगों की बात है ,जहाँ बिन मांगे सलाह मिलते रहते हैं ,यद्यपि इन पर कुछ कम लोग ध्यान देते हैं |स्थिति तब विषम हो जाती है जब कोई खुद किसी से सलाह लेने गया हो और सलाह देने वाला ऐसी सलाह दे दे की उसकी हिम्मत टूट जाए और इतना गहरे अवचेतन बैठ जाए की उसका जीवन नष्ट हो जाए अथवा समाप्त ही हो जाए |
इस तरह की सलाह आजकल आधुनिक ज्योतिषी और पंडित ,आपके हमारे घर वाले ,रिश्तेदार तथा तथाकथित तांत्रिक देते हैं की व्यक्ति सुधरने की बजाय नष्ट हो जाए और उसकी स्थिति और बिगड़ जाए |यह अपने छोटे से स्वार्थ में इतना बड़ा अहित कर देते हैं की व्यक्ति की समस्या नहीं ,व्यक्ति ही समाप्त हो जाता है |इन्हें मनोविज्ञान की तो समझ होती नहीं ,न इनके लिए व्यक्ति कोई महत्त्व रखता है |इन्हें तो बस अपने स्वार्थ से मतलब होता है ,जिसका आधार इनका अधकचरा ज्ञान होता है |पारंपरिक रूप से देखें तो ज्योतिषी-तांत्रिक-पंडित आदि के एक निश्चित संस्कार बनाए गए हैं किन्तु आज उन्हें जानने वाला ही कम है मानने और अमल करने वाला तो दुर्लभ है |ज्योतिष अथवा कोई भी शास्त्र स्पष्ट बताने से मन करता है ,संदेह व्यक्त करना की ऐसा हो सकता है ,एक आदर्श भाषा रही है ,किन्तु आज सीधे बोला जाता है |इतना ही नहीं ऐसी बातों से भी डरा दिया जाता है जिसके लिए व्यक्ति गया ही नहीं अथवा जिसका कोई लेना देना ही नहीं |डर और भय उत्पन्न करने के लिए आजकल ऐसे ऐसे योगों -दोषों को बताया जाता है ,जैसे यह पहले थे ही नहीं और उपाय न किये गए तो सबकुछ समाप्त हो जाएगा |ज्योतिषी जाते ही ग्रह ,कालसर्प, मांगलिक आदि ऐसे बताएगा जैसे अब सब समाप्त होने वाला है |
तांत्रिक भूत-प्रेत-अभिचार तुरंत बतायेगा ,भले वह हो या न हो |व्यक्ति तो पहले से परेशान ,एक भय नया उत्पन्न हो गया ,तीसरा पैसे भी ले लिए गए |अब वह इतना टूट जाता है की जो है उससे भी हाथ धोने लगता है |ऐसा सभी उन जगहों पर होता है जहाँ कोई किसी से सलाह लेने जाए |सलाह देने वाला अपना स्वार्थ देखने लगता है |व्यक्ति का लाभ बहुत ही कम देखते हैं |एक उदाहरण निम्न प्रकार है -
हमारे एक दूर के रिश्तेदार ने एक मशहूर भविष्यवक्ता से अपना भविष्य पूछा [[चूंकि घर की मूली घास बराबर लगती है ,इसलिए उन्होंने हमारी बात न मानी ]]|उस मशहूर ज्योतिषी ने उसे बताया की उसका दिल बहुत कमजोर है ,उसका मन बहुत विचलित है ,मारकेश आने वाला है ,ग्रह स्थितियां विपरीत हैं और अगली अमावस्या को वह मर जाएगा |वह रिश्तेदार स्तब्ध रह गया |वह गया था पारिवारिक समस्या के निवारण का उपाय पूछने ,पर बताया ऐसा गया की उसके होश गम हो गए |उसने अपने परिवार के हर व्यक्ति को भविष्यवाणी बताई |उसने अपने वकील से मिलकर वसीयत ठीक करवा ली |जब मैंने उसका विश्वास डिगाने की कोशिस की ,तो उसने मुझे बताया की उस भविष्यवक्ता में अद्भुत पारलौकिक शक्तियां हैं |यह भविष्यवक्ता लोगों का बहुत भला या बुरा कर सकती/सकता है |उसे भविष्यवाणी की सच्चाई पर पूरा भरोसा है | जब अमावस्या करीब आने लगी ,तो वह खोया खोया रहने लगा |एक महीने पहले वह आदमी खुश ,स्वस्थ ,उत्साही और जोशीला था |अब वह बीमार दिखने लगा |भय के कारण अमावस्या आने आते  ब्लड प्रेशर बढ़ गया ,डिप्रेसन ,घबराहट बढ़ गयी |अमावस्या को सोचकर की आज में मर जाऊँगा उसे बहुत बुरा हार्ट अटैक आ गया और वह सचमुच मर गया |हालांकि उसे पता ही नहीं था की अपनी मौत का कारण एक सुझाव और वह खुद था |ऐसा इसलिए हुआ की वह खुले मन और दिमाग से अपनी भलाई के लिए सलाह लेने गया था ,इसलिए सलाह ने उसके अवचेतन के गहरे तुरंत प्रवेश कर लिया और अवचेतन ने उसे सही मान लिया |सही मानकर अवचेतन ने उस दिशा में काम शुरू कर दिया की सचमुच वह मरने वाला है |
हममे से कितनो ने ही इस तरह की कहानियाँ सुनी हैं और यह सोचकर थोड़े काँपे हैं की यह दुनिया रहस्यमई अनियंत्रित शक्तियों से भरी पड़ी है ? हाँ दुनिया शक्तियों से भरी पड़ी है ,लेकिन वे न तो रहस्यमय हैं और न ही अनियंत्रित |रिश्तेदार ने खुद अपनी जान ले ली ,क्योकि उसने एक शसक्त सुझाव को अपने अवचेतन मन में दाखिल होने दिया |उसे भविष्यवक्ता की शक्तियों पर भरोसा था ,इसलिए उसने उसकी भविष्यवाणी को पूरा स्वीकार कर लिया |आइये अवचेतन मन की कार्यविधि के आधार पर इस घटना को देखें |व्यक्ति का चेतन या तार्किक मन जिस बात पर यकीं करता है ,अवचेतन उसे स्वीअकार लेता है और उसके अनुरूप कार्य करता है |रिश्तेदार जब भविष्यवक्ता के पास गया तो वह सुझाव ग्रहण करने की मनोदशा में था |भविष्यवक्ता ने उसे एक नकारात्मक सुझाव दिया ,जिसे उसने सच मान लिया [भले वह गलत सुझाव स्वार्थ वश दिया गया हो ],वह दहशत में आ गया |उसे पूरा विश्वास था अगली अमावस्या को वह मरने वाला है |उसने इसके बारे में सबको बता दिया और अपनी मौत की तैयारी करने लगा |मौत के बारे में उसके डर और आशंका को उसके अवचेतन मन ने सही मान लिया और ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की की हार्ट अटैक आ जाए |इस प्रकार अवचेतन ने उसे हकीकत में बदल दिया |
जिस भविष्यवक्ता ने मौत की भविष्यवाणी की उसकी शक्ति बहुत अधिक नहीं थी किन्तु भ्रम फैला रखा था |उसके सुझाव में जान लेने की शक्ति नहीं थी |अगर वह आदमी मन के नियमों को जानता ,तो वह इस नकारात्मक सुझाव को पूरी तरह अस्वीकार कर देता और भविष्यवक्ता के शब्दों पर जरा भी ध्यान न देता |अगर वह जानता की वह अपने ही विचारों और भावनाओं द्वारा नियंत्रित है तो वह जिन्दा रह सकता था |तब भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी बख्तरबंद टैंक पर फेकी गयी रबर की गेंद जैसी होती |किन्तु जागरूकता और समझ की कमी के कारण उसने अपनी मौत को खुद ही बुला लिया |
यह एक उदाहरण मात्र है |ऐसा हमारे समाज में आसपास रोज होता है ,|लोग सलाह देते समय नहीं सोचते की इसका अगले पर क्या प्रभाव होगा |अपने स्वार्थ के लिए ऐसी सलाहें दी जाती हैं की व्यक्ति टूट जाए ,नष्ट हो जाए ,मर जाए अथवा अलग विपत्ति में पद जाए |किसी को भूत की सलाह दे दीजिये झूठा |अब वह भ्रम में हो जाएगा |मन में बैठ गया तो हर जगह डरेगा |डरेगा तो मन कमजोर होगा ,मानसिक बल का ह्रास होगा और डर उसे किसी भी समय निश्चिन्त नहीं रहने देगा |फलतः चिंता -भय बढने से स्वास्थय खराब होगा और व्यक्ति की असफलता शुरू और कार्यप्रणाली छिन्न भिन्न |उसे तो फिर बादलों और वृक्षों के आकार में भी भूत दिखने लगेंगे |इसी तरह कोई सुझाव किसी को गंभीरता से दे दीजिये की आप में अमुक कमी है ,तर्क से साबित कर दीजिये ,व्यक्ति स्वीकार कर ले तो उसमे कमी न भी हो तो कुछ दिन में उत्पन्न हो जायेगी |

याद रखिये दूसरों के सुझावों में कोई शक्ति नहीं होती |आप अपने विचारों द्वारा उन्हें शक्ति देते हैं |आपको अपनी मानसिक सहमति देनी होती है |आपको उस विचार को स्वीकार करना होता है |तब वह विचार आपका बन जाता है और आपका अवचेतन उसे साकार करने के लिए काम करता है |याद रखें आपके पास चुनने की क्षमता है ,जिंदगी चुनें ,मौत चुनें ,प्रेम चुनें ,नफ़रत चुनें ,सेहत चुनें या दुःख |आप कभी किसी की सलाह सुझाव को आख मूदकर न माने |समझें ,तर्क की कसौटी पर परखें |नकारात्मक सुझावों का अधिक विश्लेषण करें की कहीं यह किसी स्वार्थवश तो नहीं दिया गया |आधुनिक सुझाव दाताओं से सावधान रहें और समझें |यह आपको और पतन के रास्ते पर ले जा सकता है |
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💯✔ जीवन के लिए आधार वाक्य जरुर बनाएं

प्राचीन यूनान के जमाने से दार्शनिक और तर्क शास्त्रियों ने सिलोजिज्म नामक तर्क का अध्ययन किया है |सिलोजिज्म में मष्तिष्क व्यावहारिक रूप में तर्क करता है |इसका मतलब यह है की आपका चेतन मन जिस प्रमुख आधार वाक्य को सही मानता है ,उसी से यह निष्कर्ष तय होता है ,जिस पर आपका अवचेतन मन पहुचेगा |इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है की वह सवाल या समस्या कौन सि है |अगर आधार वाक्य सही है तो निष्कर्ष अवश्य सही होगा |उदाहरण के लिए -
हर गुण प्रशंसनीय है
दयालुता एक गुण है ,इसलिए दयालुता प्रशंशनीय है |
या यह
सभी निर्मित चीजें बदलती और ख़त्म होती हैं |
मिश्र के पिरामिड निर्मित चीजें हैं ,इसलिए पिरामिड बदलेंगे और ख़त्म होंगे |
पहले वाक्य को प्रमुख आधार वाक्य कहा जाता है और सही आधार वाक्य से सही निष्कर्ष निकलते हैं |आधार वाक्य की कार्य प्रणाली अवचेतन की असीमित शक्ति पर कार्य करती है |यह वाही रास्ते निकालता है जो आप उसमे भरते हैं चेतन मन द्वारा |अपनी इच्छाओं को साकार करने और कुंठा से उबरने के लिए दिन में कई बार द्रिघ्ता से कहें ---- असीमित बुद्धिमत्ता ने मुझे यह मनोकामना दि है और यही मुझे इसे साकार करने की आदर्श योजना की राह दिखाती है ,उस ओर ले जाती है और आवश्यक बातें बताती है |में जानता हूँ की मेरे अवचेतन की अधिक गहरी समझ अब प्रतिक्रिया कर रही है और में जो महसूस करता हूँ तथा जिस पर मन में दावा करता हूँ ,वह बाहर व्यक्त होती है |संतुलन और सद्बुद्धि हर ओर है |
दूसरी तरफ अगर आप कहते हैं -- अब कोई रास्ता नहीं बचा है ,अब सारा खेल ख़त्म हो गया ,इस उलझन से बाहर निकलने का कोई तरीका नहीं ,में बाधित और अवरुद्ध हूँ ,,,तो आपको आपके अवचेतन मन से कोई जबाब या प्रतिक्रिया नहीं मिलेगी |अगर आप चाहते हैं की आपका अवचेतन आपके लिए काम करे तो ,इसका सहयोग पाने के लिए इससे आग्रह करना होगा |यह आपके लिए हमेशा काम कर रहा है |आपके अवचेतन के पास अपनी बुद्धि है लेकिन यह आपके विचारों और छवियों के पैटर्न को स्वीकार कर लेता है |जब आप इसमें समस्या का जबाब तलाशते हैं तो आपका वाचेतन प्रतिक्रया करेगा और यह आपसे उम्मीद करेगा की आप अपने चेतन मन में किसी सच्चे निर्णय या फैसले पर पहुच जाएँ |आपको यह मानना होगा की आपके अवचेतन मन के पास जबाब है |अगर आप कहते हैं ,,,मुझे नहीं मालूम की कोई रास्ता है या नहीं ,में पूरी दुविधा और उलझन में हूँ ,मुझे जबाब क्यों नहीं मिलता ?,,,तो आप अपनी प्रार्थना को नकार रहे हैं |समय काटते सैनिक की तरह आप ऊर्जा का प्रयोग तो करते हैं ,लेकिन आगे नहीं बढ़ते हैं |
अपने मष्तिष्क के पहियों को विराम दें |आराम से बैठ जाएँ ,शिथिल हो जाएँ ,,शान्ति से कहें ---- मेरा अवचेतन मन जबाब जानता है |यह इस समय भी प्रतिक्रया कर रहा है |में धन्यवाद देता हूँ ,क्योकि में जानता हूँ की मेरे अवचेतन की असीमित बुद्धिमत्ता साड़ी बातें जानती है और मुझे इस वक्त आदर्श जबाब दे रही है |मेरा सच्चा विश्वास मेरे अवचेतन मन की बुद्धिमत्ता और ज्ञान को मुक्त कर रहा है |मुझे ख़ुशी है की ऐसा हो रहा है |याद रखिये अच्छा सोचेंगे अच्छा होगा ,बुरा और नकारात्मक सोचेंगे बुरा होगा |आपका अवचेतन मन आपके साथ बहस नहीं करता |यह चेतन मन के आदेश को चुपचाप मान लेता है |
जब आप एक आधार वाक्य अपने लिए चुन लेते हैं और बार बार उसे दोहराते हैं ,तो यह अवचेतन में स्थायी हो जाता है और अवचेतन उसे सही मान लेता है |दुनिया कुछ भी कहती रहे पर अवचेतन उसे ही सही मानता है |भारतीय महर्षियों ने अवचेतन की इसी शक्ति को बहुत पहले जान लिया था |वह समझ गए थे की सब कुछ व्यक्ति ही करता है ,उर्जायें तो मात्र माध्यम होती हैं |इसीलिए उन्होंने खुद मनुष्य को ईश्वर बनाने की बात कही |व्यक्ति में असीमित शक्ति होती है |अगर आप आधार वाक्य बनाते हैं की -- दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं,,  तो आपका वाचेतन इसे सच मान लेगा |परिस्थितियां कुछ भी बन जाएँ पर अवचेतन हमेशा कहेगा दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं |इससे होगा यह की हमेशा अन्दर से आशा और उत्साह की आवाज आएगी की दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं |
आपका अवचेतन किसी भी परिस्थिति में आपको हार मानने नहीं देगा और आपका मष्तिष्क हमेशा हल खोजने की ओर दौडाता रहेगा और उसे संयत रखेगा ,हताश नहीं होने देगा |इसमें संचित जीवन भर की सूचनाओं का विश्ह्लेषण करेगा ,अगर हल मिल गया तो ठीक नहीं मिला तो यह कई दिनों तक हल खोजता रहेगा ,यहाँ तक की पूर्व जन्मों तक भी इसका जाना असंभव नहीं |यह अनेक लोकों की यात्रा करेगा ,पूर्व समय और सूचनाओं का विश्लेष्ण करेगा और सलाह सुझाता रहेगा |अंततः कोई न कोई रास्ता निकाल ही देगा |आत्मबल तो हमेशा बनाये ही रहेगा ,संघर्ष की शक्ति देता रहेगा |इसलिए हर सफल व्यक्ति अपने लिए आधार वाक्य जरुर चुने होता है |यही उसकी सफलता का राज होता है |"" भीड़ का हिस्सा मत बनो "" एक आदर्श आधार वाक्य है जो कुछ नया हमेशा करने की प्रेरणा देता है और आपको अलग करने को प्रेरित करता रहता है |यह मेरा आधार वाक्य है ,जिससे हमेशा मुझे कुछ नया खोजने की प्रेरणा मिलती है |लकीर पीटना और आंखमूंदकर कोई बात मान लेना मेरे बस का नहीं |
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💯✔ रोग -कष्ट का इलाज है अवचेतन में

आपके अवचेतन मन की शक्ति अतुलनीय और असीमित है |आपका अवचेतन मन आपको प्रेरित करता है और मार्गदर्शन देता है |यह यादों के भण्डार से तस्वीरें और दृश्य निकालकर लाता है |आपका अवचेतन आपके दिल की धड़कन और रक्त संचार नियंत्रित करता है |यह पाचन और उत्सर्जन को सुचारू बनता है |आपका वचेतन शरीर की सभी अनिवार्य प्रक्रियाएं और कार्यों को नियंत्रित करता है जिनका आपको पता तक नहीं चलता |आपका वाचेतन मन कभी सोता नहीं ,न ही कभी आराम करता है ,यह हमेशा काम करता रहता है |आपका अवचेतन मन आपके आदर्शों ,महत्वाकांक्षाओं और परोपकारों का स्रोत है |अवचेतन मन असाध्य रोगों को ठीक कर सकता है |दर्द की अनुभूति रोक सकता है |यह आधुनिक विज्ञान द्वारा प्रमाणित हो चूका है |
एस्डेल एक स्काटिश सर्जन थे ,जिन्होंने १८४० के दशक में बंगाल में काम किया था |उस जमाने में बेहोश करने के लिए ईथर या रासायनिक एनेस्थेसिया की अन्य आधुनिक विधियों का इस्तेमाल नहीं होता था |१८४३ से १८४६ के बीच डा.एस्डेल ने सभी तरह के कुल मिलाकर चार सौ बड़े आप्रेसन किये |इनमे आँख ,कान ,गले के अलावा अंग काटने ,ट्यूमर हटाने और कैंसर की गाँठ हटाने के आपरेशन शामिल थे |इन सभी आप्रेशनों में केवल मानसिक एनेस्थेसिया ही दिया गया |मरीजों का कहना था की उन्हें कोई दर्द नहीं हुआ और आपरेशन के दौरान इनमे से कोई भी नहीं मरा |आश्चर्य की बात यह थी की आपरेशन के बाद एस्डेल के बहुत कम मरीज मरे |यह उस वक्त की बात थी जब लोग बैक्टीरिया -वायरस के बारे में जानते भी नहीं थे |लुई पाश्चर और जोसेफ लिस्टर ने यह साबित नहीं किया था की संक्रमण बैक्टीरिया से फैलता है |किसी को भी एहसास नहीं था की आपरेशन के बाद होने वाली संक्रमण दूषित औजारों और हानिकारक विषाणुओं के कारण होती है |जब एस्डेल अपने मरीजों को सम्मोहन की अवस्था में सुझाव देते थे की उन्हें कोई संक्रमण या सेप्टिक नहीं होगा ,तो मरीज के अवचेतन मन इस सुझाव पर प्रतिक्रया करते थे |वे संक्रमण के जीवनघाती खतरों से लड़ने की प्रक्रिया शुरू कर देते थे |इस सर्जन ने यह खोज लिया था की अवचेतन मन की चमत्कारी शक्ति का इस्तेमाल कैसे किया जाए |
आपका अवाचेतन मन आपको समय और स्थान से परे कर सकता है |यह आपको हर दर्द और कष्ट से मुक्त कर सकता है ,यह आपको सभी समस्याओं के जबाब दे सकता है ,चाहे वे जो भी हों |आपके भीतर ऐसी शक्ति और ज्ञान है जो आपकी बुद्धि से परे है और आप इसके चमत्कार पर हैरान हो सकते हैं |रोग से ठीक होने का दूसरा प्रमाण है की एक व्यक्ति को चरम रोग हुआ |वह लगभग १० वर्षों तक विभिन्न स्थानों और विशेषज्ञ डाक्टरों से इलाज कराता रहा किन्तु उसे लाभ नहीं हुआ और उसका चर्मरोग बिगड़ता गया |फिर एक दिन उसकी मुलाक़ात एक दार्शनिक ,मनोवैज्ञानिक धर्म गुरु से हुई जिसने उसे बताया की शमस्त शरीर एक कोशिका से उत्पन्न होता है ,तुम्हारा भी और हर प्राणी वनस्पति का |इसे बिगाड़ने अथवा रोगग्रस्त करने वाला भी एक कोशिका का ही होता है तो तुम करोड़ों कोशिकाएं रखकर भी उससे नहीं लड़ पा रहे |तुम्हारी समस्या तो मात्र कुछ कोशिकाओं की है |तुम चाहो तो ऐसा हो सकता है ,तुम खुद इसे ठीक कर सकते हो ,अपने डाक्टर से कहो तो |व्यक्ति समझ गया की धर्म गुरु क्या समझाने की कोशिस कर रहे हैं |उसके शरीर की रचना करने वाली अवचेतन बुद्धि घडी बनाने वाले की तरह है |यह ठीक ठीक जानती है की उसके शरीर की सभी महत्वपूर्ण क्रियाओं और प्रक्रियाओं का उपचार कैसे किया जाए ,शरीर को दोबारा कैसे बनाया जाए और मार्गदर्शन कैसे किया जाए |इस काम को सही तरीके से करवाने के लिए स्वास्थय का आदर्श विचार देना होगा |यह आदर्श विचार वह कारण बन जाएगा ,जिसका परिणाम उपचार होगा |वुँक्ति ने एक प्रार्थना तैयार की --
मेरा शरीर और इसके सभी अंग मेरे अवचेतन मन की असीमित बुद्धि ने बनाये हैं |यह जानता है की मेरा उपचार कैसे किया जाए |इसकी बुद्धि ने मेरे सभी अंग ,उतक ,मांस पेशियाँ और हड्डियाँ बनाई हैं |मेरे भीतर की यह असीमित उपचारक शक्ति मेरे अस्तित्व की हर कोशिका को रूपांतरित कर रही है और मुझे सम्पूर्ण बना रही है |में उस उपचार के लिए धन्यवाद देता हूँ ,जो में जानता हूँ की इस समय हो रहा है |मेरे भीतर की रचनात्मक बुद्धि में अद्भुत शक्तियाँ हैं |,,,इस प्रार्थना को हर रोज पांच मिनट तक दिन में तीन चार बार व्यक्ति दोहराने लगा |लगभग तीन महीने में उसके चरम रोग पूरी तरह ठीक हो गए साथ ही कुछ अन्य समस्याएं भी समाप्त हो गई |जो डाक्टर इलाज करते थक गए थे घबरा गए की कैसे इतनी जल्दी ठीक हो गया |आपका शरीर तभी रोग ग्रस्त होता है जब आपकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो |प्रतिरोधक क्षमता का सीधा सम्बन्ध अवचेतन मन से होता है |हमारे पेज Tantra Marg और अलौकिक शक्तियां ,,,के पाठक विश्वास नहीं करेंगे किन्तु मुझे जानने वाले यह भी जानते हैं की में पिछले ३० वर्षों से किसी भी डाक्टर के यहाँ नहीं गया खुद की किसी भी शारीरिक -मानसिक समस्या के लिए ,जबकि सामान्य सा गृहस्थ हूँ और सभी अन्य की तरह मेरी भी दिनचर्या है |हाँ कभी नकारात्मक विचार नहीं पाला न कभी किसी समस्या को खुद पर हावी होने दिया |हमारी सारी समस्या ,उन्नति ,अवनति ,सफलता -असफलता का सूत्र हमारे अवचेतन में ही होता है |हमारे ऋषियों ने यूँही नहीं कहा ,अहम् ब्रह्माष्मी ,,|व्यक्ति चाहे तो कुछ भी कर सकता है |ईश्वर भी बन सकता है |
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💯✔ अवचेतन शरीर को नियंत्रित करता है

चाहे आप जागे हो या सोये ,आपके अवचेतन मन की अथक शक्ति आपके शरीर के सभी महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करती है |इसमें आपके चेतन मन के किसी तरह के दखल की जरुरत नहीं होती है |जब आप सो जाते हैं तो भी आपका ह्रदय धड़कता रहता है |आपके सीने और फेफड़े की मांशपेशियाँ फेफड़ों में हवा भरती और निकालती रहती है |आपके शरीर की कोशिकाओं के काम के कारण निकली कार्बन डाई आक्साइड के बदले में ताज़ी आक्सीजन भर ली जाती है ,जिसकी आपको कार्य करने के लिए जरुरत होती है |आपका अवचेतन मन आपकी पाचक प्रक्रियाओं और ग्रंथियों क्र स्राव के अलावा आपके शरीर के अन्य सभी अद्भुत जटिल कार्यों को नियंत्रित करता है |यह सब लगातार होता रहता है ,चाहे आप जाग रहे हों या सो रहे हों |
अगर आपको अपने शरीर के सभी काम चेतन मन से करने पड़े ,तो आप निश्चित ही असफल हो जायेंगे |आप शायद बहुत जल्दी मर जायेंगे |ये प्रक्रियाएं बहुत जटिल हैं और आपस में बुरी तरह गुंथी हुई है |किन्तु आपका अवचेतन इसे आसानी से करता रहता है |चेतन और अवचेतन के फर्क को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं |मान लें ,आप किसी सुपरसोनिक जेट में बैठकर समुद्र के ऊपर से गुजर रहे हों और काकपिट में घुस जाएँ |निश्चित ही आपको हवाई जहाज उड़ाना नहीं आता है ,लेकिन आप पायलट का ध्यान भटकाकर परेशानी जरुर खड़ी कर सकते हैं |इसी तरह से आपका चेतन मष्तिष्क शरीर को तो नहीं चला सकता ,लेकिन वह इसके सही तरह से काम करने के रास्ते में बाधा जरुर बन सकता है |
चिंता तनाव ,डर और निराशा ,ह्रदय ,फेफड़ों ,आमाशय और आतों के सामान्य कार्यों में बाधा डाल सकती हैं |जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से विचलित महसूस करते हैं ,तो आप जो सबसे अच्छा काम कर सकते हैं वह है शिथिल होना ,आराम करना और विचार प्रक्रिया को रोक देना |अपने वाचेतन मन से बात करें |इससे कहें की यह शान्ति ,सामंजस्य और दैवी विधान को स्थापित करें |ऐसा करने पर आप पायेंगे की आपके शरीर की समूची कार्य प्रणाली दोबारा सामान्य हो गई है |अपने अवचेतन मन से अधिकार और विश्वास के साथ बोलें |यह आपके आदेश का पालन करके प्रतिक्रिया करेगा |
आप अपने अवचेतन मन से अपने काम करवा सकते हैं |इसकी खामोश प्रक्रिया को आप देख सुन नहीं सकते |आपका पाला हर बार अपने वाचेतन मन के बजाय चेतन मन से पड़ता जबकि सभी महत्वपूर्ण कार्य अवचेतन मन ही करता है |अपने चेतन मन से सर्वश्रेष्ठ की आशा करते रहें और यह पक्का करें की आपके आदतन विचार अच्छी ,सुन्दर ,सच्ची ,न्यायपूर्ण और सद्भावनापूर्ण चीजों पर केन्द्रित हों |अपने चेतन मन का ध्यान रखें ,इसके विचारों को नियंत्रित रखें और दिल में जान लें की आपका अवचेतन मन आपके ही आदतन विचारों के अनुरूप परिणाम दे रहा है ,व्यक्त कर रहा है और परिस्थितियां बना रहा है |
याद रखें जिस प्रकार पानी उसी पाइप का आकार ले लेता है ,जिसमे वह बहता है ,उसी तरह आपमें जीवन सिद्धांत ,आपके विचारों की प्रकृति के अनुरूप प्रवाहित होता है |दावा करें की आपके अवचेतन की उपचारक शक्ति आपके भीतर सामंजस्य ,सेहत ,शान्ति ,सुख और प्रचुरता के रूप में प्रवाहित हो रही है |ज्ञानी व्यक्ति या प्यारे मित्र के रूप में इसकी कल्पना करें |दृढ़ता से यकींन करें की यह आपके भीतर लगातार प्रवाहित हो रहा है ,आपको सजीव ,सजग ,सक्रीय बना रहा है ,प्रेरित कर रहा है और समृद्ध बना रहा है |इसकी वापस प्रतिक्रिया आपको इसी रूप में प्राप्त होगी ,क्योकि यह वैसी की प्रतिक्रिया देता है जैसा आप चेतन मन से इसमें भरते हैं |जैसा आप यकीन करेंगे वैसा ही आपको मिलेगा |आप किसी प्रक्रियां को बार बार नियंत्रित करने के लिए सोचेंगे तो आपका अवचेतन मन कुछ समय बाद स्वयमेव उसे नियंत्रित करने लगेगा और आपको आश्चर्य होगा की आपके सोचने मात्र से यह कार्य होने लगा |

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